पिंक टिकट से दिल्ली में बढ़ी महिला बस यात्रियों की संख्या लेकिन सुरक्षा अब भी सवाल
योजना के अंतर्गत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (डीआईएमटीएस) ने सभी एसी व नॉन एसी बसों में महिलाओं को पिंक टिकट के आधार पर निशुल्क बस यात्रा सुविधा दी गई।
दिल्ली में महिलाओं को निशुल्क बस यात्रा योजना के मूल्यांकन करते हुए एक रिपोर्ट पेश की गई। इसके तहत महिलाओं को जारी की गई पिंक टिकट से दिल्ली में महिला बस यात्री में इजाफा हुआ। साल 2019 में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए निशुल्क बस यात्रा को शुरू की था। इस योजना के अंतर्गत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (डीआईएमटीएस) ने सभी एसी व नॉन एसी बसों में महिलाओं को पिंक टिकट के आधार पर निशुल्क बस यात्रा सुविधा दी गई।
2024 तक इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक के पिंक टिकट जारी किए गए। पर्यावरण के लिए काम कर रही ग्रीनपीस इंडिया एनजीओ ने अपनी नई रिपोर्ट राइडिंग दी जस्टिस रूट जारी की। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा और बेहतर परिवहन पर अब भी सवाल बरकरार हैं। इस पर काम करने की जरूरत है।
रिपोर्ट की लेखिका अर्चना सिंह ने कहा कि मुफ्त बस यात्रा योजना का प्रभाव अविस्मरणीय है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि यह अभी भी कई महिलाएं खासकर हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए क्यों सुलभ नहीं है। योजना की वास्तविक सफलता तब होगी जब महिलाओं को बसों में केवल लाभार्थी नहीं बल्कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सम्मिलित नागरिकों के रूप में देखा जाएगा।
नियमित यात्रा कर रही हैं महिलाएं
योजना की शुरुआत के बाद, 23 फीसदी महिलाएं अधिक नियमित यात्रा कर रही हैं, जबकि 15 फीसदी महिलाएं जो पहले बसें कम ही इस्तेमाल करती थीं, अब नियमित उपयोगकर्ता बन गई हैं। एनजीओ के सर्वेक्षण में लगभग 88 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि इस योजना ने बस उपयोग को बढ़ाया है, जबकि 87 फीसदी ने लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता में कमी की सराहना की है।
दिल्ली में महिलाओं को निशुल्क बस यात्रा योजना के मूल्यांकन करते हुए एक रिपोर्ट पेश की गई। इसके तहत महिलाओं को जारी की गई पिंक टिकट से दिल्ली में महिला बस यात्री में इजाफा हुआ। साल 2019 में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए निशुल्क बस यात्रा को शुरू की था। इस योजना के अंतर्गत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (डीआईएमटीएस) ने सभी एसी व नॉन एसी बसों में महिलाओं को पिंक टिकट के आधार पर निशुल्क बस यात्रा सुविधा दी गई। 2024 तक इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक के पिंक टिकट जारी किए गए। पर्यावरण के लिए काम कर रही ग्रीनपीस इंडिया एनजीओ ने अपनी नई रिपोर्ट राइडिंग दी जस्टिस रूट जारी की। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा और बेहतर परिवहन पर अब भी सवाल बरकरार हैं। इस पर काम करने की जरूरत है।
रिपोर्ट की लेखिका अर्चना सिंह ने कहा कि मुफ्त बस यात्रा योजना का प्रभाव अविस्मरणीय है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि यह अभी भी कई महिलाएं खासकर हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए क्यों सुलभ नहीं है। योजना की वास्तविक सफलता तब होगी जब महिलाओं को बसों में केवल लाभार्थी नहीं बल्कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सम्मिलित नागरिकों के रूप में देखा जाएगा।
नियमित यात्रा कर रही हैं महिलाएं
योजना की शुरुआत के बाद, 23 फीसदी महिलाएं अधिक नियमित यात्रा कर रही हैं, जबकि 15 फीसदी महिलाएं जो पहले बसें कम ही इस्तेमाल करती थीं, अब नियमित उपयोगकर्ता बन गई हैं। एनजीओ के सर्वेक्षण में लगभग 88 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि इस योजना ने बस उपयोग को बढ़ाया है, जबकि 87 फीसदी ने लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता में कमी की सराहना की है।
75 फीसदी महिलाओं के परिवहन खर्चों में हुई बचत
रिपोर्ट के अनुसार निशुल्क बस यात्रा योजना ने महिलाओं के परिवहन खर्चों को काफी कम किया है। 75 फीसदी महिलाओं ने अपने परिवहन खर्चों में बचत की सूचना दी है। इनमें से 67 फीसदी महिलाएं अब एक हजार रुपये प्रति माह से कम खर्च करती हैं। महिलाएं इस बचत को कई तरीकों से उपयोग कर रही हैं। 54 फीसदी महिलाएं घरेलू खर्चों के लिए, 50 फीसदी आपातकालीन स्थिति के लिए, 33 फीसदी महिलाएं निजी खरीदारी के लिए और 15 फीसदी स्वास्थ्य औरा शिक्षा के लिए खर्च कर रही हैं। योजना लागू होने के बाद 23 फीसदी महिलाओं ने बसों का अधिक उपयोग करना शुरू किया। रिपोर्ट के मुताबिक 15 फीसदी महिलाएं जो पहले कभी या बहुत कम बसों का उपयोग करती थीं। अब नियमित तौर पर बसों का अधिक उपयोग करना शुरू कर दिया है।
दस मिनट से अधिक चलती हैं 76 फीसदी महिलाएं
रिपोर्ट के अनुसार 76 फीसदी महिलाएं बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए दस मिनट से अधिक तक चलती हैं। जिनका सामना खराब बुनियादी ढांचे के कारण सुरक्षा जोखिमों से होता है। सामाजिक चुनौतियों के आंकड़ों के तहत चार फीसदी महिलाओं को बसों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, यह आंकड़ा निम्न-आय वाली महिलाओं के लिए 14 फीसदी तक बढ़ जाता है, जो अनुभवों में असमानताओं को उजागर करता है।
रिपोर्ट के अनुसार निशुल्क बस यात्रा योजना ने महिलाओं के परिवहन खर्चों को काफी कम किया है। 75 फीसदी महिलाओं ने अपने परिवहन खर्चों में बचत की सूचना दी है। इनमें से 67 फीसदी महिलाएं अब एक हजार रुपये प्रति माह से कम खर्च करती हैं। महिलाएं इस बचत को कई तरीकों से उपयोग कर रही हैं। 54 फीसदी महिलाएं घरेलू खर्चों के लिए, 50 फीसदी आपातकालीन स्थिति के लिए, 33 फीसदी महिलाएं निजी खरीदारी के लिए और 15 फीसदी स्वास्थ्य औरा शिक्षा के लिए खर्च कर रही हैं। योजना लागू होने के बाद 23 फीसदी महिलाओं ने बसों का अधिक उपयोग करना शुरू किया। रिपोर्ट के मुताबिक 15 फीसदी महिलाएं जो पहले कभी या बहुत कम बसों का उपयोग करती थीं। अब नियमित तौर पर बसों का अधिक उपयोग करना शुरू कर दिया है।
दस मिनट से अधिक चलती हैं 76 फीसदी महिलाएं
रिपोर्ट के अनुसार 76 फीसदी महिलाएं बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए दस मिनट से अधिक तक चलती हैं। जिनका सामना खराब बुनियादी ढांचे के कारण सुरक्षा जोखिमों से होता है। सामाजिक चुनौतियों के आंकड़ों के तहत चार फीसदी महिलाओं को बसों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, यह आंकड़ा निम्न-आय वाली महिलाओं के लिए 14 फीसदी तक बढ़ जाता है, जो अनुभवों में असमानताओं को उजागर करता है।