अब झुग्गी-बस्तियों में नहीं छिप पाएंगे बदमाश, जेजे क्लस्टर समितियां बनाएगी दिल्ली पुलिस; कैसे करेगी काम
राजधानी में अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है। एक तरफ फरार बदमाशों की धरपकड़ की जा रही है, तो दूसरी ओर झुग्गी बस्तियों में छिपे बदमाशों की पहचान की जा रही है।

राजधानी में अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है। एक तरफ फरार बदमाशों की धरपकड़ की जा रही है, तो दूसरी ओर झुग्गी बस्तियों में छिपे बदमाशों की पहचान की जा रही है। कुख्यात अपराधी बड़ी वारदातों के बाद झुग्गी बस्तियों में छिप जाते थे। इन्हें पकड़ने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। इससे निपटने के लिए पुलिस ‘जेजे क्लस्टर समितियां’ गठित कर रही है।
पुलिस की इस पहल का मकसद झुग्गियों में सक्रिय अपराधियों पर नजर रखना और वहां बाहर से आए संदिग्धों की पहचान करना है। झुग्गी बस्तियों के निवासियों को अपराध की ओर जाने से रोकने का काम भी समितियां करेंगी। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक जिले में दो झुग्गी क्लस्टरों को चुना जाएगा। तीन महीने की समीक्षा के बाद अन्य स्थानों पर भी इसी मॉडल को लागू करने की योजना है। समिति जरूरत के अनुसार एमसीडी, डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड जैसी अन्य एजेंसियों को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जोड़ सकती है।
पुलिस की आंख और कान बनेगी
यह समिति पुलिस की आंख और कान बनकर काम करेगी। खासतौर पर संगठित अपराध, अवैध शराब और ड्रग्स की तस्करी जैसे मामलों में लिप्त लोगों की पुलिस को तत्काल जानकारी मुहैया कराएगी। बाहर से आकर झुग्गी बस्ती में शरण लेने वाले संदिग्धों की गतिविधि की भी जानकारी पुलिस को देगी। दरअसल, झुग्गी बस्तियों में अपराध रोकना एक बड़ी चुनौती है। इसलिए यहां पर इन समितियों का गठन किया गया है।
इस तरह काम करेंगी
‘जेजे क्लस्टर समितियों’ के नेतृत्व का काम स्थानीय पुलिस अधिकारियों के हाथों में होगा। इसमें स्थानीय प्रभावशाली लोगों को भी शामिल किया जाएगा। एडिशनल एसएचओ समिति के अध्यक्ष होंगे। जबकि इलाके के डिवीजन अफसर संरक्षक के रूप में काम करेंगे। बीट अफसर, यातायात पुलिस अधिकारी, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, स्थानीय प्रधान, आरडब्ल्यूए पदाधिकारी, शिक्षक और छोटे व्यवसायी इस समिति के सदस्य होंगे। प्रत्येक जेजे क्लस्टर समिति में गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या 12 से अधिक नहीं रखी जाएगी।