किसानों को एक या दो दिनों जेल से रिहा करने का भरोसा मिला
- जीरो प्वाइंट पर आंदोलन के चलते पुलिस ने 100 से अधिक किसानों को गिरफ्तार
ग्रेटर नोएडा, वरिष्ठ संवाददाता। यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर आंदोलन के चलते गिरफ्तार किए 100 से अधिक किसानों की एक या दो दिनों में रिहाई संभव है। मंगलवार को पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह और जिलाधिकार मनीष कुमार वर्मा ने किसानों से वार्ता कर इसका आश्वासन दिया है। कलेक्ट्रेट में लगभग तीन घंटों तक चली वार्ता के दौरान पुलिस और प्रशासन ने किसानों की रिहाई प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही उनकी मांगों को लेकर वार्ता का भरोसा दिया। बता दें कि जिले के किसान 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, बढ़ा हुआ 64.7 प्रतिशत मुआवजे और पुराने भूमि अधिग्रहण अधिनियम को लागू कराने को लेकर आंदोलनरत थे। किसानों ने नवंबर अंत में आंदोलन शुरू किया, जिसमें दो दिसंबर तक सरकार को उनके पक्ष में फैसला न लेने पर दिल्ली कूच की चेतावनी दी। सरकार की ओर निर्णय न लिए जाने पर किसानों ने दिल्ली कूच किया। हालांकि, उन्हें पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया और दलित प्रेरणा स्थल से करीब 123 किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके विरोध में किसान आंदोलन और अधिक उग्र हो गया था, उन्होंने यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर डेरा डाल दिया और गिरफ्तार किसान की रिहाई न होने पर दोबारा दिल्ली कूच की चेतावनी दी। पुलिस ने किसानों को रिहा भी कर दिया था, लेकिन उनके बावजूद भी किसान आंदोलनरत रहे। उसी दिन देर रात दोबारा पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, तभी से किसानों और पुलिस प्रशासन के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है। पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह और जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट में किसानों के साथ वार्ता की। उन्हें गिरफ्तार किसानों की एक या दो दिनों में रिहाई कराने के साथ ही मांगों को लेकर उच्च स्तर पर वार्ता करने का भरोसा दिया। अधिकारियों की वार्ता के बाद किसान सहमत दिखे। बैठक में किसान नेताओं समेत एडीएम प्रशासन मंगलेश दुबे और ओएसडी यमुना प्राधिकरण शैलेंद्र सिंह भी उपस्थित रहे
किसान बोले, टिकैत की चेतावनी के बाद मिले अधिकारी
किसानों ने बताया कि किसान नेता राकेश टिकैत ने 23 दिसंबर को किसानों के समर्थन में बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। इसके बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मंगलवार को किसानों के साथ वार्ता की और उनकी मांगों को लेकर आश्वासन दिया। साथ ही किसानों की जब्त गाड़ियों और ट्रैक्टरों को भी छोड़ने का आदेश दिया है। उनको भरोसा दिलाया कि जल्द ही किसानों की मांग 10 फीसदी प्लॉट और 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की शासन स्तर पर बातचीत शुरू कर समस्या का हल निकाला जाएगा। इससे पहले कोई किसान आंदोलन नहीं करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया हैं कि इससे पहले यदि कोई भी व्यक्ति या संगठन धरना या प्रदर्शन करता हैं तो यह उसका व्यक्तिगत निर्णय होगा। इसकी जिम्मेदारी स्वयं आंदोलन कर्ता की होगी। संयुक्त किसान मोर्चा इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
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राजनैतिक मोड़ ले रहा था आंदोलन
किसानों की गिरफ्तारी के बाद इस आंदोलन ने राजनैतिक मोड ले लिया था। बीते दिनों कांग्रेस के तीन सांसद प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से इस संबंध में बातचीत की थी। इसके अलावा सपा नेता व अन्य राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने भी किसानों के समर्थन में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपे थे। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने किसानों की रिहाई ना होने पर राहुल गांधी तक के आंदोलन में शामिल होने की बात कहीं थी।
मायचा गांव में हुई पंचायत
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक संगठन ने मायचा गांव में मासिक पंचायत का आयोजन किया। जिलाध्यक्ष चौधरी महेंद्र मुखिया ने कहा कि हर गांव में एक कमेटी का गठन किया गया है, जो प्राधिकरण द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान कराने के लिए काम करेगी। जिसमें बैकलीज, आबादी निस्तारण, शिफ्टिंग, 6 फीसदी भूखंड आदि होगी। पंचायत में जिला महासचिव चौधरी धनेश प्रधान, वीरन नेता, विजय भाटी, राजेंद्र प्रधान, रोबिन खारी, रोहित भड़ाना, विक्रम, वीरेंद्र शर्मा, सोमेश, रामचंद्र मुक्कदम, सतीश पहलवान, देशराज प्रधान, वेदप्रकाश आदि किसान मौजूद रहे।
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