DND फ्लाईवे बनाने वाली NTBCL कंपनी को एक और झटका, नोएडा अथॉरिटी वापस लेगी 330 एकड़ जमीन
नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 1997 में डीएनडी फ्लाईवे (Delhi-Noida-Direct Flyway) बनाने के लिए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड को 454 एकड़ जमीन दी थी। इसमें से करीब 124 एकड़ जमीन पर डीएनडी और अन्य निर्माण हो रखे हैं।
नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 1997 में डीएनडी फ्लाईवे (Delhi-Noida-Direct Flyway) बनाने के लिए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड को 454 एकड़ जमीन दी थी। इसमें से करीब 124 एकड़ जमीन पर डीएनडी और अन्य निर्माण हो रखे हैं। प्राधिकरण अब खाली पड़ी करीब 330 एकड़ जमीन वापस लेगा। इस जमीन की कीमत अरबों रुपये है। प्राधिकरण ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि मौके पर कितनी जमीन खाली है, इसका आकलन करने के लिए फिर से सर्वे कराया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनाए फैसले में कहा कि डीएनडी पर कोई टोल नहीं लगेगा। इससे पहले वर्ष 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यही फैसला सुनाया था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी। जब सुप्रीम कोर्ट ने टोल नहीं लिए जाने का आदेश दिया है तो ऐसे में खाली जमीन भी टोल ब्रिज कंपनी के पास नहीं रहेगी।
नोएडा प्राधिकरण खाली पड़ी जमीन को वापस लेगा। जमीन वापस मिलने पर प्राधिकरण इसका इस्तेमाल करने की योजना तैयार करेगा। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि टोल ब्रिज कंपनी के साथ डीएनडी बनाने के लिए 12 नवंबर 1997 को अनुबंध हुआ था। इसके कुछ महीने बाद ही जमीन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। यह जमीन अलग-अलग चरणों में दी गई। नोएडा प्राधिकरण के अलावा दिल्ली सरकार, सिंचाई विभाग समेत अन्य विभागों ने भी जमीन दी थी। इसमें डूब क्षेत्र व अन्य तरह की जमीन भी शामिल है। निर्माण पूरा होने पर सात फरवरी 2001 को डीएनडी की शुरुआत हो गई थी।
खास बात यह है कि डीएनडी बनाने के लिए टोल ब्रिज कंपनी को दी गई 454 एकड़ में से करीब 330 एकड़ जमीन अब भी खाली है। बाकी हिस्से में डीएननी का रास्ता, कंपनी का ऑफिस व अन्य चीजें बनी हुई हैं।
सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में आपत्ति जताई
सीएजी ने वर्ष 2017 तक नोएडा प्राधिकरण से जुड़े हर कामकाज की जांच की थी। इस जांच में टोल ब्रिज कंपनी को कुल दी गई जमीन और खाली पड़ी जमीन को लेकर भी आपत्ति उठाई गई थी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कीमती जमीन खाली पड़ी है तो प्राधिकरण उसे अपने कब्जे में लेने में लापरवाही क्यों बरत रहा है। प्राधिकरण ने सीएजी को जवाब दिया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
मॉल बनाने की मंजूरी मांगी थी
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो टोल ब्रिज कंपनी ने डीएनडी बनने के बाद उसके दोनों ओर खाली जमीन पर रियल एस्टेट परियोजनाएं लाने की योजना तैयार की थी। इसमें आवासीय के साथ-साथ मॉल आदि बनाए जाते। इसके लिए टोल ब्रिज कंपनी ने प्राधिकरण से अनुमति मांगी थी, जिसको प्राधिकरण ने नकार दिया था।
जमीन वापस लेने के लिए पहले भी आदेश हो चुका
तत्कालीन मुख्य अभियंता (सिविल) नोएडा की ओर से 5 अगस्त 2016 और 16 अगस्त 2016 को सर्वे रिपोर्ट नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट में गठित टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं थे। रिपोर्ट में निर्माण के पश्चात बची जमीन 330.91 एकड़ के खसरा नंबरों को ग्रामवार चिह्नित नहीं किया गया था। इसके बाद फिर से सबंधित अधिकारियों से हस्ताक्षर कराकर बची 330.91 एकड़ जमीन का कब्जा नोएडा टोल ब्रिज कंपनी से वापस लेने के लिए 1 मार्च 2017 को तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा अनुमोदन कर दिया गया, लेकिन इस आदेश का आज तक पालन नही हुआ।