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चलते-चलते : मलेशिया के मंदिर में होगी भगवान से सीधी बातचीत

नोट : फ्लायर के लिए प्रस्तावित एआई के जरिए भक्त माजू देवी से

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 28 April 2025 03:03 PM
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चलते-चलते : मलेशिया के मंदिर में होगी भगवान से सीधी बातचीत

नोट : फ्लायर के लिए प्रस्तावित एआई के जरिए भक्त माजू देवी से कर सकेंगे सवाल

- मलेशिया के मंदिर ने दुनिया की पहली एआई माजू देवी की मूर्ति बनाई

जोहोर, एजेंसी।

इंट्रो :

मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ अब तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। मलेशिया के एक ताओ धर्म मंदिर ने दुनिया की पहली एआई आधारित माजू देवी की मूर्ति स्थापित की है। यह डिजिटल देवी न केवल भक्तों के सवाल सुनेंगी, बल्कि अपनी मधुर वाणी में उनका उत्तर भी देंगी। यह अनोखा अनुभव श्रद्धा और तकनीक को नई दिशा देगा। माजू देवी को एक पारंपरिक चीनी परिधान में खूबसूरत महिला के रूप में दिखाया गया है। भक्त एआई माजू से आशीर्वाद मांग सकते हैं।

वीडिया में माजू देवी ने लोगों के सवालों भी दिए

एक वीडियो में देखा गया कि एआई माजू शांत और कोमल आवाज में भक्तों की समस्याओं का जवाब देती है। जैसे एक व्यक्ति ने एआई माजू से सवाल पूछा कि क्या उन्हें अचानक से धन मिल सकता है। इस पर एआई माजू ने शांत और स्नेहभरे स्वर में जवाब दिया कि अगर आप घर पर रहें तो अचानक धन प्राप्ति का अच्छा अवसर मिलेगा। एक अन्य ने पूछा कि उसे रात में सोने में समस्या हो रही है। इस पर माजू ने सोने से पहले गर्म पानी पीने की सलाह दी। सोशल मीडिया पर भी भक्तों ने इसे खूब सराहा है। साथ ही प्रार्थना के इमोजी और आशीर्वाद मांगते हुए कमेंट्स किए।

चीन की समुद्री देवी मानी जाती हैं माजू

एआई माजू देवी को मलेशिया की टेक्नोलॉजी कंपनी आइमाजिन ने बनाया है। वह चीन की समुद्री देवी मानी जाती हैं। उनके करोड़ों भक्त चीन के अलावा ताइवान, हांगकांग, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया जैसे देशों में हैं। उनका असली नाम लिन मो था।

समुद्र की रक्षक, दक्षिणी समुद्र की देवी भी कहा जाता है

माजू देवी का जन्म 960 ईस्वी में चीन के फुजियान प्रांत के मीझोउ द्वीप पर हुआ था। कहा जाता है कि लिन बहुत बुद्धिमान और दयालु थीं। वह लोगों को समुद्र में डूबने से बचाने के लिए जानी जाती थीं। एक बार किसी तूफान में डूब रहे नाविकों की मदद करते हुए उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें लोगों ने एक देवी के रूप में सम्मान देना शुरू कर दिया, जो समुद्र में यात्रा करने वालों की रक्षा करती हैं। उन्हें समुद्र की रक्षक और दक्षिणी समुद्र की देवी भी कहा जाता है।

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