महिलाएं ऑनलाइन ठगी के डर से यूपीआई भुगतान से कतरा रहीं
नई दिल्ली, अरुण चट्ठा देश में मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने वाली महिलाओं की
नई दिल्ली, अरुण चट्ठा देश में मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने वाली महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है लेकिन ऑनलाइन लेनदेन में वे यूपीआई के इस्तेमाल से कतरा रही हैं। यूपीआई को लेकर उनके मन में कई तरह की शंकाएं हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ ठगी हो सकती है या फिर यह माध्यम सुरक्षित नहीं है। ऐसे में यूपीआई की इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या सीमित है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड (एनपीसीआई) और वीमेंस वर्ल्ड बैंकिंग (डब्ल्यूडब्ल्यूबी) द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
यूपीआई फोर हर (उनके लिए यूपीआई) शीर्षक से किए गए इस अध्ययन में महिलाओं की डिजिटल वित्तीय क्षमता और यूपीआई के प्रति उनकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन को देखा गया। यह अध्ययन कानपुर, कानपुर देहात, तमिलनाडु के तिरुपुर, मथुरा, अयोध्या और महाराष्ट्र के बांद्रा समेत देश के अन्य हिस्सों में किया गया। कानपुर और कानपुर देहात में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग ( एमएसएमई) संचालित करने वाली 15 महिलाओं और गैर एमएसएमई क्षेत्र से जुड़ी 15 महिलाओं से बातचीत की गई। इसके साथ ही देश के अन्य हिस्सों में अलग-अलग श्रेणी में आने वाले महिलाओं से डिजिटल पेमेंट को लेकर बात की गई।
अध्ययन में डिजिटल भुगतान को लेकर उनके व्यवहार पर बारीकी से अध्ययन किया गया और फिर सावधान संतुलनकर्ता, अन्वेषक (खोजकर्ता), रूढ़िवादी और तटस्थ जैसी चार श्रेणी में महिलाओं को रखा गया। उसके बाद कहा गया कि सावधान संतुलनकर्ता और तटस्थ श्रेणी में शामिल महिलाओं को यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान व लेनदेन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
यूपीआई मर्चेंट को उपयोगी बताया
अध्ययन में शामिल महिलाओं ने कहा कि यूपीआई मर्चेंट उपयोगी है और वो इस माध्यम से डिजिटल लेनदेन को 10 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी तक कर सकती हैं। शहरी और अर्धशहरी इलाकों में माइक्रो बिजनेस से जुड़ी 25 सौ महिलाओं पर इसका अध्ययन किया और पाया कि उन्होंने सफल तरीके से मर्चेंट का उपयोग बढ़ाया है।
डिजिटल भुगतान में श्रेणी बार महिलाओं की स्थिति
1. सावधान संतुलनकर्ता: इस श्रेणी में शामिल महिलाओं की वित्तीय डिजिटल क्षमता कम है लेकिन डिजिटल भुगतान के प्रति अच्छी प्रेरणा है। भुगतान में गलती होने, ओटीपी के नाम पर ठगी होने तक का डर रहता है।
2. अन्वेषक : इस श्रेणी की महिलाओं ने नियमित तौर पर विश्वास के साथ डिजिटल भुगतान का लाभ उठाया है और लगातार प्रयोग कर रही हैं। महिलाओं को डिजिटल भुगतान के प्रेरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
3. भंयकर रूढ़िवादी : इस श्रेणी में शामिल महिलाएं किसी भी तरह के डिजिटल भुगतान पर भरोसा नहीं करती हैं। बैंक शाखा के जरिए ही अपना लेनदेन करती हैं। इनके लिए नकद में लेनदेन करना सबसे प्रमुख है।
4. तटस्थ : इस श्रेणी में आर्थिक रूप से संपन्न व कारोबार क्षेत्र से जुड़ी ऐसी महिलाएं आती हैं, जो डिजिटल भुगतान के लिए कम प्रेरित हैं और उनके पास भुगतान करने की उच्च क्षमता है।
ये सुझाव भी दिए गए
1. पहली श्रेणी की महिलाओं को भुगतान की गारंटी देने के लिए प्रीपेड पेमेंट इंस्टूमेंट (पीपीआई) बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। इसमें धनराशि वॉलेट में होल्ड रखी जाती है, जिसमें लेनदेन फेल होने का खतरा नहीं है। यह बचत खाते से लिंक नहीं होती है, जिससे महिलाएं आसानी से भुगतान कर सकती हैं।
2. तटस्थ श्रेणी में आने वाली महिलाओं के लिए यूपीआई फोर मर्चेंट को कारगर है। ग्राहक बैंक खाता या कार्ड विवरण दर्ज किए बिना सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान कर सकते हैं।
महिलाओं में मोबाइल इंटरनेट का कितना उपभोग
आंकड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2023 के दौरान महिलाओं में मोबाइल इंटरनेट उपभोग बढ़कर 37 फीसदी हो गया है। वर्ष 2022 में यह करीब 30 फीसदी था। देश में 15 वर्ष से अधिक आयु की 53.6 करोड़ महिलाएं हैं। इनमें से 20 करोड़ महिलाएं मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं।
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