सोनिया विहार व घोंडा गुजरान में प्रस्तावित वैकल्पिक लैंडफिल साइट का परीक्षण करेगा एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गुरुवार को कहा कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या सोनिया विहार और घोंडा गुजरान इलाके में प्रस्तावित लैंडफिल साइट यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थित...
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गुरुवार को कहा कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या सोनिया विहार और घोंडा गुजरान इलाके में प्रस्तावित लैंडफिल साइट यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थित हैं।
एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस एस.पी. वांगडी की बैंच ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर एक संक्षिप्त दस्तावेज दाखिल करके उन आधारों का उल्लेख करने को कहा जिसके कारण वे दो लैंडफिल साइटों को स्थापित किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
ये याचिकाएं आप के बागी विधायक और अन्य ने दायर की हैं। बैंच ने याचिकाओं पर नोटिस नहीं जारी किया। बैंच ने कहा कि हम इस बात का परीक्षण करेंगे कि क्या दोनों स्थल यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पड़ते हैं। हम सभी मुद्दों पर विचार करेंगे।
मिश्रा के अतिरिक्त आप प्रवक्ता दिलीप कुमार पांडेय और अन्य ने भी डीडीए को सोनिया विहार में 130 एकड़ क्षेत्र आवंटित करने और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) को घोंडा गुजरान में 50 एकड़ जमीन आवंटित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की है। इन लैंडफिल साइटों का प्रस्ताव गाजीपुर स्थित स्थल के भर जाने की वजह से किया गया है।
यह आदेश तब आया जब एनजीटी को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सूचित किया कि इसी तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट के पास भी लंबित है।
ईडीएमसी की ओर से उपस्थित वकील बालेंदु शेखर ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट भर गई है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अविलंब एक वैकल्पिक लैंडफिल साइट की आवश्यकता है।
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