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अपडेट... कोलकाता पैकेज ::: बंगाल के लोगों की खातिर इस्तीफा देने को तैयार : ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे पीड़िता के लिए न्याय चाहती हैं और डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने इस्तीफे को लेकर चिंता व्यक्त की, जबकि डॉक्टरों ने बातचीत...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 12 Sep 2024 04:40 PM
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शब्द : 704 - मुख्यमंत्री ने कहा, पीड़िता के लिए न्याय चाहती हूं, लोगों के इलाज की फिक्र

- डॉक्टरों पर कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया, काम पर लौटने की अपील

कोलकाता, एजेंसी

आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर से दरिंदगी मामले पर घिरीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वे लोगों की खातिर इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, वे सिर्फ पीड़िता के लिए न्याय और आम नागिरकों के इलाज को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। वहीं, डॉक्टरों ने दावा किया कि प्रशासन अपनी जिद के चलते लाइव स्ट्रीमिंग नहीं कराना चाहता। उन्होंने यह भी कहा कि हमने मुख्यमंत्री से कभी इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा।

ममता ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं बंगाल के लोगों से माफी मांगती हूं, जिन्हें उम्मीद थी कि आज आरजी कर अस्पताल में गतिरोध खत्म हो जाएगा। वे (जूनियर डॉक्टर) नबान्न आए, लेकिन बैठक में शामिल नहीं हुए। मैं उनसे काम पर लौटने का अनुरोध करती हूं। मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले तीन दिनों में मेरे सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद चिकित्सकों ने बातचीत से इनकार कर दिया।

कभी-कभी सहन करना होता है :

मुख्यमंत्री ने कहा, हमने जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठने की पूरी कोशिश की। हम दो घंटे 10 मिनट तक डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। हमने विरोध कर रहे डॉक्टरों से खुले दिमाग से आने का आग्रह किया था क्योंकि गतिरोध को बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं माना, फिर भी हमने उनका तीन दिन इंतजार किया। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद हम कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं क्योंकि कभी-कभी हमें सहन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग के अनुसार लाइव-स्ट्रीमिंग संभव नहीं होगी क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। हमने बातचीत के लिए भेजे गए पत्र में उल्लेख किया था कि इसे रिकॉर्ड किया जाएगा लेकिन लाइव-स्ट्रीमिंग संभव नहीं होगी।

हम बड़े हैं, माफ करना हमारा कर्तव्य :

उन्होंने कहा कि बैठक के बाद वे गतिरोध को सुलझाने के लिए एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर सकते थे। हमें उम्मीद थी कि वे आएंगे। हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि हम बड़े हैं और उन्हें माफ करना हमारा कर्तव्य है। हमने उल्लेख किया था कि 15 प्रतिनिधि आएं, लेकिन वे 34 लोग आए। हमने सभी को अनुमति दी लेकिन उन्होंने हॉल में प्रवेश नहीं किया। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल को 32 दिन हो चुके हैं। अब तक 27 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1500 गंभीर मामले लंबित हैं।

न इस्तीफा मांगा, न दबाव बनाया :

प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि हमने कभी मुख्यमंत्री से इस्तीफा नहीं मांगा और न ही इसके लिए दबाव बनाया। हम पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग के साथ यहां आए हैं। हम इस मुद्दे को सुलझाना चाहते थे. हम इस बात से बेहद नाखुश हैं कि बातचीत नहीं हो सकी, लेकिन हम अभी भी प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे। एक अन्य चिकित्सक ने कहा कि हमारी पांच मांगों में कहीं भी उनके इस्तीफे की मांग नहीं है। यहां तक ​​कि पीड़िता के माता-पिता ने भी उसके इस्तीफे की मांग नहीं की है।

बातचीत फिर विफल :

इससे पहले आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने गतिरोध हल करने के लिए बंगाल सरकार के बातचीत करने के अनुरोध को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि हम चाहते हैं कि चर्चा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में हो और इसका सीधा प्रसारण हो। हम कम से कम 30 प्रतिनिधि चाहते हैं क्योंकि यह आंदोलन विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में फैला हुआ है। प्रदर्शनकारी बैठक शुरू होने के निर्धारित समय से करीब 25 मिनट पहले शाम 5.25 बजे सचिवालय पहुंचे और एक घंटे से अधिक समय तक आयोजन स्थल के गेट पर रुके रहे। इस दौरान तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। डीजीपी राजीव कुमार, एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार और राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल और अन्य अधिकारियों को बातचीत के लिए मनाने का प्रयास करते रहे, लेकिन वे नहीं माने। पिछले दो दिनों में सरकार की ओर से चिकित्सकों को भेजा गया यह तीसरा पत्र है, जिसमें से पिछले दो प्रस्तावों को भी वे खारिज कर चुके हैं।

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