हताशा-निराशा के युग की जगह आशा-संभावना ने ली: जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत अब आशा और संभावना के दौर में है। उन्होंने युवाओं को चुनौती दी कि वे उन ताकतों का सामना करें, जो भारत के उत्थान में बाधा डालना चाहती हैं। उन्होंने आध्यात्मिकता...
गुवाहाटी, एजेंसी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि देश में हताशा और निराशा के पुराने दौर की जगह अब आशा और संभावना का माहौल है तथा देश वैश्विक स्तर पर एक ताकत के रूप में उभरा है। एक सम्मेलन में मौजूद धनखड़ ने दावा किया कि सीमाओं के भीतर और बाहर ऐसी ताकतें होंगी जो नहीं चाहेंगी कि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरे। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को अपने कदमों से ऐसी ताकतों को जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि जब भारत का उत्थान हो रहा है, तो कुछ लोगों को चोट लगना स्वाभाविक है। कुछ लोग देश के भीतर हैं और कुछ बाहर। युवा इन लोगों को अपने अर्जित ज्ञान के माध्यम से जवाब देंगे और और इसका इस्तेमाल राष्ट्र के लिए करेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की आध्यात्मिक शक्ति भारत के उत्थान के केंद्र में है। उन्होंने युवाओं से आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने और उसमें राष्ट्रवाद एवं आधुनिकता की भावना भरने का आह्वान किया।
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