Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsVeteran Actor Manoj Kumar Passes Away at 87 Honored by PM Modi

अपडेट:: डीपी 1 :: स्मृति शेष :: नहीं रहे भारत की बात सुनाने वाले मनोज कुमार

दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का निधन शुक्रवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में 87 वर्ष की उम्र में हुआ। वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन पर पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि दी और सिनेमा जगत में...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 4 April 2025 07:13 PM
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अपडेट:: डीपी 1 :: स्मृति शेष :: नहीं रहे भारत की बात सुनाने वाले मनोज कुमार

नोट ::::::: खबर के दूसरे पैरा में लाइन,,,,,,,अभिनेता का अंतिम संस्कार शनिवार को मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट पर होगा। उनके परिवार में दो बेटे और पत्नी शशि हैं।,,,,,,जोड़ा गया है। सिर्फ यही अपडेट है।

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विकल्प हेडिंग ::

चुपचाप अलविदा कह गए दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार

या

देशभक्ति फिल्मों के प्रख्यात अभिनेता मनोज कुमार दुनिया से विदा

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नंबर गेम ::

- 87 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

- मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में शुक्रवार तड़के हुआ निधन

- उम्र संबंधी बीमारियों के कारण काफी समय से अस्पताल में थे भर्ती

- 1960 और 1970 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर कई हिट फिल्में दीं

- पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, निधन पर सिनेमा जगत में शोक

मुंबई, एजेंसी।

'भारत का रहने वाला हूं... भारत की बात सुनाता हूं...' गाने से देश-दुनिया में लोकप्रिय हुए दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार शुक्रवार को दुनिया से विदा हो गए। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने 87 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और कुछ हफ्ते पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे। देशभक्ति पर आधारित 'शहीद', 'उपकार' तथा 'पूरब और पश्चिम' जैसी यादगार फिल्मों में अभिनय के बाद वह हिंदी सिनेमा में 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर हुए थे।

मशहूर अभिनेता कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि उम्र संबंधी समस्याओं के कारण उनका कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में तड़के करीब साढ़े तीन बजे निधन हो गया। उनके पिता स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से पीड़ित थे और पिछले कुछ साल से बिस्तर पर थे। गोस्वामी ने बताया कि हाल में उन्हें निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब उन्हें पीड़ा से मुक्ति मिल गई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारतीय सिनेमा का आदर्श बताया। वहीं सिनेमा जगत भी दिग्गज अभिनेता के जाने पर शोक में है। अभिनेता का अंतिम संस्कार शनिवार को मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट पर होगा। उनके परिवार में दो बेटे और पत्नी शशि हैं।

हिंदू कॉलेज से किया स्नातक

फिल्म जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए 'दादा साहब फाल्के' पुरस्कार से सम्मानित कुमार को 'दो बदन', 'रोटी कपड़ा और मकान', 'हरियाली और रास्ता', 'गुमनाम' और 'क्रांति' जैसी सफल फिल्मों के लिए भी जाना जाता था। उनकी फिल्मों ने 1960 और 1970 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की। अविभाजित भारत के एबटाबाद शहर (अब पाकिस्तान) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे कुमार का बचपन में नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था। उनका परिवार बाद में दिल्ली आ गया। इसके बाद उन्होंने हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए।

ऐसे बदला अपना नाम

अभिनेता कुमार ने वर्ष 2021 में एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें 'शबनम' फिल्म में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया मनोज का किरदार इतना पसंद आया था कि उन्होंने अपना नाम बदलकर मनोज रखने का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा, मुझे वह समय याद है, जब 1949 में रिलीज हुई फिल्म 'शबनम' में दिलीप कुमार साहब को देखने गया था। उनकी वजह से ही मैं सिनेमा का प्रशंसक बना। मुझे फिल्म में उनके किरदार से प्यार हो गया था। इस किरदार का नाम मनोज था। उस समय मेरी उम्र 11 साल रही होगी लेकिन मैंने तुरंत फैसला कर लिया कि अगर मैं कभी अभिनेता बना तो अपना नाम मनोज कुमार ही रखूंगा। अभिनेता बनने के कई साल बाद दिलीप कुमार ने मनोज कुमार की फिल्म 'क्रांति' में भूमिका निभाने के लिए हामी भरी।

फिल्म 'हरियाली और रास्ता' ने बनाई राह

मनोज कुमार को पहली बड़ी सफलता 1962 में रिलीज हुई फिल्म 'हरियाली और रास्ता' से मिली, जिसमें माला सिन्हा अभिनेत्री थीं। इसके बाद 'वो कौन थी' फिल्म को भी भारी सफलता मिली और उसका गीत 'लग जा गले' बहुत लोकप्रिय हुआ। उनकी 1965 में भगत सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म 'शहीद' रिलीज हुई, जो काफी सफल रही। इस फिल्म के गाने 'मेरा रंग दे बसंती चोला' और 'सरफरोशी की तमन्ना' काफी पसंद किए गए।

तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री से प्रेरणा लेकर फिल्म बनाई

'शहीद' फिल्म ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी ध्यान खींचा था। शास्त्री के साथ बातचीत के दौरान कुमार के मन में उनके लोकप्रिय नारे 'जय जवान, जय किसान' से प्रेरणा लेकर फिल्म बनाने का विचार आया, जिसके बाद उन्होंने 'उपकार' फिल्म बनाई। यह उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी, जो बेहद सफल रही। इसका गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' अत्यंत लोकप्रिय हुआ। देशभक्ति और सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्मों के प्रति उनके झुकाव के कारण वह 'भारत कुमार' के नाम से लोकप्रिय हुए।

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