Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीUsha Rani Fulfills Dream of Joining Indian Army After Husband s Tragic Death

दृढ़ संकल्प और जुनून से बने भारतीय सेना में अधिकारी

- ओटीए में समारोह के दौरान थलसेना में 297 अधिकारी शामिल चेन्नई, एजेंसी। 2020

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 7 Sep 2024 06:25 PM
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चेन्नई, एजेंसी। 2020 में ट्रेन हादसे में आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स में तैनात अपने पति कैप्टन जगतार सिंह को खोने वालीं ऊषा रानी का ऑलिव ग्रीन रंग की वर्दी पहनने का सपना शनिवार को साकार हो गया। उनके साथ ​​इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर जिग्मित रिंगजिन, ऑडिटर फाल्के निशांत बालासाहेब और मुंबई की भीड़भाड़ वाली चॉल में पले-बढ़े भावसार जयेश महेश के दृढ़ संकल्प और जुनून भी सच हो गया। ये सभी उन 258 कैडेट अधिकारी और 39 महिला अधिकारी कैडेटों में शामिल थे, जिन्हें अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में समारोह के दौरान भारतीय थल सेना की विभिन्न शाखाओं और सेवाओं में शामिल किया गया। ओटीए के परमेश्वरन ड्रिल स्क्वायर में आयोजित पासिंग आउट परेड की समीक्षा सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राज सुब्रमणि ने की। ओटीए ने कहा कि मित्रवत देशों के 10 कैडेट अधिकारी और पांच कैडेट अधिकारी (महिला) ने भी सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा किया।

शिक्षिका से सैन्य प्रशिक्षण तक का सफरः

ऊषा रानी को ट्रेन दुर्घटना ने हिलाकर रख दिया था लेकिन उन्होंने अपने दुख से उबरने के लिए सैन्य प्रशिक्षण को चुना। तीन वर्षीय जुड़वां बच्चों की युवा मां ने अपनी बैचलर ऑफ एजुकेशन की शिक्षा पूरी की और आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका के रूप में बच्चों को मार्गदर्शन देना शुरू किया। उन्होंने अपने पति के नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय सेना में शामिल होने के लिए एसएसबी की तैयारी की। एक आधिकारिक जानकारी में कहा गया कि संयोग से ऊषा अपनी शादी की सालगिरह पर ओटीए में शामिल हुईं।

सातवें प्रयास में सफलताः

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के पूह से ताल्लुक रखने वाले अधिकारी कैडेट जिग्मित रिंगजिन ने एक नामी कंपनी में नौकरी की पेशकश को ठुकरा दिया। वह अपने सातवें प्रयास में सफल हुए और अक्तूबर 2023 में चेन्नई में ओटीए में शामिल हुए। उन्होंने भारतीय सेना में अधिकारी बनने के लिए 49 सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।

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पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए सफल हुए

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में हेड कॉन्स्टेबल के बेटे फाल्के निशांत बालासाहेब ने अपने पिता को लाइलाज बीमारी के कारण खो दिया। उन्हें अपनी मां और छोटी बहन की देखभाल की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सप्ताहांत में महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी), अहमदनगर में ऑडिटर के रूप में काम किया। उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा पास की, लेकिन एसएसबी में असफल रहे। वह सिलसिला छह बार दोहराया गया। अंततः सातवें प्रयास में उन्हें सफलता मिली और वह ओटीए में शामिल हो गए।

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थल सेना उपप्रमुख ने सराहना की

थल सेना उपप्रमुख ने अपने संबोधन में कैडेट अधिकारी और ओटीए कर्मियों की अनुकरणीय उपलब्धियों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा, आपको जल्द ही दुनिया के कुछ बेहतरीन सैनिकों की कमान संभालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा। ये सैनिक आपकी सबसे मूल्यवान संपत्ति हैं। अब आपको उनके जीवन और कल्याण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए, अपनी कमान को युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कुशल, अनुशासित और धैर्यवान बनाएं।

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