हर भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है : धर्मेंद्र प्रधान
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता हर भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है, और प्रत्येक भाषा

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता हर भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है, और प्रत्येक भाषा भारतीय ज्ञान प्रणाली को देशभर में प्रभावी ढंग से लागू करने का माध्यम है। उक्त बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित इंडियन नॉलेज सिस्टम्स एंड सस्टनेबल डेवलेपमेंट विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत वर्तमान और भविष्य की सामाजिक आवश्यकताओं के लिए मूल्यवान समाधान प्रदान करती है। उन्होंने स्वदेशी ज्ञान को आधुनिक शिक्षा और शोध के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। इस सम्मेलन का आयोजन शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीएसएल) के सहयोग से किया गया था।
उद्घाटन सत्र के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने देशभर के विद्वानों द्वारा लिखित शोध पत्रों का एक व्यापक दस्तावेज जारी किया। इस शैक्षणिक संकलन में स्वदेशी ज्ञान के विविध पहलुओं और आधुनिक वैश्विक चुनौतियों के समाधान में इसकी भूमिका पर चर्चा की गई है। प्रधान ने राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीएसएल) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के सहयोग से कक्षा 1 से 12 तक के लिए विकसित सिंधी भाषा की पाठ्यपुस्तकों का भी विमोचन किया। उन्होंने इस पहल को भाषाई संरक्षण और शैक्षिक पहुंच के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
प्रधान ने स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित और साझा करने के लिए एक डिजिटल भंडार स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने इसे शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बताया और शैक्षिक फाउंडेशन और शैक्षिक महासंघ के प्रयासों की सराहना की।
इस सम्मेलन में 672 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें कुलपति, प्रोफेसर, शिक्षाविद और देशभर के शिक्षक शामिल थे। चर्चा का मुख्य विषय शोध और नवाचार के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता और भारत को वैश्विक शिक्षा में अग्रणी बनाने पर केंद्रित था।
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