Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीTrump Appoints Mike Waltz as National Security Advisor Strengthening India-US Ties

भारत समर्थक माइक वॉल्टज होंगे अमेरिका के नए एनएसए

- ट्रंप ने अमेरिकी सीनेट में इंडिया कॉकस के प्रमुख को सौंपी अहम जिम्मेदारी

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 12 Nov 2024 03:47 PM
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वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज कर चुके डोनाल्ड ट्रंप अपनी टीम का गठन करने में जुट गए हैं। इस कड़ी में उन्होंने भारत समर्थक माइक वॉल्टज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का जिम्मा सौंपा है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

माइक वॉल्टज अमेरिकी सीनेट में इंडिया कॉकस के प्रमुख हैं। इंडिया कॉकस मे कुल 40 सदस्य हैं। इसका गठन 2004 में किया गया था। यह सीनेट में सबसे बड़ा कॉकस है। इसका काम अमेरिका की नीतियों को भारत के पक्ष में प्रभावित करना होता है। माना जा रहा है कि माइक वॉल्टज एनएसए की भूमिका में भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और ज्यादा मजबूत करने का काम कर सकते हैं। माइक वॉल्ट्ज ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान कैपिटल हिल में उनके ऐतिहासिक भाषण की व्यवस्था कराने में अहम भूमिका निभाई थी। वह आर्मी नेशनल गार्ड के सेवानिवृत्त अधिकारी और पूर्व सैनिक रह चुके हैं।

चीन के प्रति कठोर रुख

माइक वॉल्टज डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक रहे हैं। उन्हें चीन के प्रति कठोर रुख रखने वाला माना जाता है। उन्होंने ही कोविड-19 की उत्पत्ति और चीन में मुस्लिम उइगर आबादी के उत्पीड़न के कारण बीजिंग में 2022 में हुए शीतकालीन ओलंपिक का अमेरिका द्वारा बहिष्कार करने का आह्वान किया था।

कई संकटों के बीच अहम पद मिला

माइक वॉल्टज को ऐसे वक्त में एनएसए का पद दिया जा रहा है, जब दुनियाभर में कई संकट एक साथ चल रहे हैं। इनमें रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा इजरायल, ईरान, हमास व हिजबुल्ला के बीच संघर्ष शामिल हैं।

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ट्रंप की टीम में इनको भी मिली जगह

1. सुसी विल्स : व्हाइट हाउस की चीफ ऑफ स्टाफ

सुसी विल्स ने डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभाई। वह अमेरिकी इतिहास में पहली महिला चीफ-ऑफ-स्टाफ होंगी। फ्लोरिडा में रहने वाली 67 वर्षीय सुसी विल्स का राजनीतिक जीवन लंबा रहा है पर वह ज्यादा सुर्खियों में नहीं रहती। ट्रंप ने उन्हें अपने सफल राष्ट्रपति चुनावी अभियान का श्रेय दिया है।

2. मार्को रुबियो : विदेश मंत्री

ट्रंप ने मार्को रुबियो को देश के अगले विदेश मंत्री के तौर पर चुना है। रुबियो को चीन विरोधी रुख के लिए जाना जाता है। रुबियो कहते रहे हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अशांति फैलाने में चीन की बड़ी भूमिका है। वह सीनेट में कई बार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर मानवाधिकारों के हनन और दक्षिण चीन सागर में उनके आक्रामक रुख की आलोचना कर चुके हैं।

3. एलिस स्टेफनिक : संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सहयोगी एलिस स्टेफनिक को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के रूप में भेजने की पेशकश की है। स्टेफनिक ने राष्ट्रपति चुनाव में एक अहम सहयोगी के रूप में भूमिका निभाई है। एक इंटरव्यू के दौरान स्टेफनिक ने बताया था कि 9/11 के आतंकी हमले के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया था।

4. टॉम होमन : बॉर्डर जार

ट्रंप ने टॉम होमन को बॉर्डर जार की जिम्मेदारी सौंपी है। यह अमेरिकी सीमाओं की रक्षा और अवैध अप्रवासियों के निर्वासन में अहम जिम्मेदारी वाला पद है। होमन ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान माइग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के पूर्व कार्यवाहक निदेशक के रूप में कार्य किया था। वह ट्रंप की जीरो टॉलरेंस नीति के समर्थक थे। इस साल की शुरुआत में उन्होंने एक सम्मेलन में कहा था कि वे इस देश में अब तक का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान चलाएंगे।

5. स्कॉट बेसेंट : वित्त मंत्री

व्यवसायी और निवेशक स्कॉट बेसेंट को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के वित्त मंत्री के तौर पर चुनने जा रहे हैं। उन्हें ट्रंप का बेहद करीबी माना जाता है। प्रचार अभियान के दौरान कह चुके हैं कि वह अमेरिका के हितों को सबसे पहले रखेंगे। ऐसे में अमेरिका में चीन के व्यापार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है और इसमें बेसेंट कि अहम भूमिका होगी। वहीं, वह भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देखते हैं और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं।

6. स्टीफन मिलर : डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ

डोनाल्ड ट्रंप ने आव्रजन मामलों के विशेषज्ञ स्टीफन मिलर को अपना डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया है। राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के पहले कार्यकाल में मिलर वरिष्ठ सलाहकार थे। इमिग्रेशन जैसे मुद्दों पर उन्होंने ट्रंप द्वारा दिए गए कई भाषणों को तैयार करने में स्टीफन की अहम भूमिका रही है। चुनावी रैलियों और कैंपेन में स्टीफन कई बार ट्रंप के साथ दिखे थे। मिलर की नियुक्ति अवैध और वैध दोनों तरह के इमिग्रेशन पर लगाम कसने की ओर इशारा करती है।

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