50 फीसदी से अधिक स्वास्थ्यकर्मी कार्यस्थल पर महसूस करते असुरक्षित
- अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया तथ्य नंबर गेमःःः 71.5 प्रतिशत प्रतिक्रिया देने वाले
नई दिल्ली, एजेंसी। एक सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को लगता है कि उनका कार्यस्थल असुरक्षित है। खासकर राज्य और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को यही महसूस होता है। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। इस अध्ययन में कार्यस्थल पर सुरक्षा के विभिन्न पैमानों का आकलन किया गया। यह रिपोर्ट ‘एपिडेमियोलॉजी इंटरनेशनल नामक पत्रिका के हाल के अंक में प्रकाशित हुई। इसमें ‘वर्कप्लेस सेफ्टी एंड सिक्योरिटी इन इंडियन हेल्थकेयर सेटिंग: ए क्रॉस-सेक्शनल सर्वे में चिकित्सा संस्थानों में मौजूदा सुरक्षा और संरक्षा के उपायों में सुधार की तत्काल आवश्यकता को बताया गया है। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी), सफदरजंग अस्पताल और दिल्ली के एम्स के विशेषज्ञों के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में चिकित्सा संस्थानों के भीतर बुनियादी सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण कमियां को उजागर किया गया है।
डेढ़ हजार स्वास्थ्यकर्मी शामिल
देश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के 1,566 स्वास्थ्यकर्मियों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में 869 (55.5 प्रतिशत) महिलाएं और 697 (44.5 फीसदी) पुरुष शामिल थे। लगभग एक-चौथाई (24.7 प्रतिशत) स्वास्थ्यकर्मी दिल्ली से थे और उनमें से लगभग आधे रेजिडेंट डॉक्टर (49.6 प्रतिशत) थे। इसके बाद प्रशिक्षु सहित स्नातक मेडिकल छात्र (15.9 प्रतिशत) थे। सर्वेक्षण में संकाय सदस्यों, चिकित्सा अधिकारियों, नर्सिंग स्टाफ और अन्य सहायक कर्मचारियों ने भी प्रतिक्रियाएं दीं।
जिन्होंने सर्वेक्षण के दौरान अपनी प्रतिक्रिया दी उनमें अधिकांश (71.5 प्रतिशत) सरकारी मेडिकल कॉलेज में काम करते हैं। 70 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों ने माना कि सुरक्षाकर्मी की संख्या पर्याप्त नहीं है। 62 फीसदी ने आपातकालीन अलार्म प्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया। लगभग आधे स्वास्थ्यकर्मियों ने आईसीयू और मनोरोग वार्ड जैसे क्षेत्रों में बेरोकटोक आवाजाही, निगरानी और सुरक्षा में गंभीर कमियों को उजागर किया। इतना ही नहीं, 90 प्रतिशत से अधिक संस्थानों में हथियारों या खतरनाक वस्तुओं की उचित जांच नहीं होती।
ड्यूटी पर धमकी भी मिलतीः
सर्वेक्षण करने वाली टीम में शामिल डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि परिणामों से पता चला कि आधे से अधिक (58.2 प्रतिशत) स्वास्थ्यकर्मी कार्यस्थल पर असुरक्षित महसूस करते हैं और 78.4 प्रतिशत ने ड्यूटी के दौरान धमकी मिलने की बात कही। लंबी अवधि की ड्यूटी या रात में काम करने के दौरान लगभग आधे स्वास्थ्यकर्मियों के पास समर्पित कक्ष नहीं हैं।
सुविधाएं बेहद लचर
डॉ. किशोर ने बताया कि मौजूदा ड्यूटी कक्ष में नियमित सफाई, कीट नियंत्रण, वेंटिलेशन, और एसी की सुविधाएं बेहद लचर हैं। इस सर्वेक्षण के परिणाम से जाहिर है कि देशभर के स्वास्थ्य संस्थानों में मौजूदा सुरक्षा उपाय संतोषजनक नहीं है।
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बॉक्स 1
राज्य सरकार के संस्थानों में सबसे ज्यादा असंतोष
डॉ. किशोर ने कहा कि निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा को लेकर दी गई प्रतिक्रियाओं में बड़ा अंतर देखा गया। वहीं राज्य सरकार के संस्थानों में सबसे अधिक असंतोष दिखा। राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों में 63 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षा कर्मचारियों की संख्या को लेकर नाखुश दिखे, जहां निजी कॉलेजों की तुलना में असंतोष की संभावना चार गुना अधिक है।
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