बागेश्वर में खड़िया खनन पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश में दखल से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह गंभीर मामला है और खनन...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने खनन कंपनियों को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि ‘यह बेहद गंभीर मसला है, ऐसे में हम इसमें उच्च न्यायालय के आदेश में किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी को कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए बागेश्वर जिला में सभी खनन गतिविधियों पर रोक अंतरिम रोक लगा थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने साफ तौर पर कहा कि स्पष्ट उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली खनन कंपनियों को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का सुझाव दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘यह गंभीर है, हम इस आदेश में हस्तक्षेप नहीं करने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कटियार माइनिंग एंड इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन और अन्य खनन संचालकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने पीठ से कहा कि ‘ जिस रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने खनन गतिविधियों को निलंबित किया है, वह रिपोर्ट किसी विशेषज्ञ ने नहीं बल्कि वकीलों द्वारा तैयार की गई थी। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘वे (वकील) विशेषज्ञ नहीं हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने काफी अच्छा काम किया है। एक अन्य खनन कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ से कहा कि इसी तरह का मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है, जिसने जांच के लिए अपनी समिति गठित की है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय में वापस जाना का सलाह दिया चाहिए क्योंकि जिस आदेश को चुनौती दी गई है, वह अतंरिम प्रकृति का है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद खनन कंपनियों ने अपनी याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी।
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