किसान-मजदूरों पर बढ़ रहे कर्ज, उपज स्थिर : समिति
कृषि संकट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कृषि संकट के कारणों में स्थिर उपज, बढ़ती लागत, कर्ज और विपणन प्रणाली की कमी शामिल हैं। पैनल ने न्यूनतम...
कृषि संकट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की पैनल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य उपायों की जांच का सुझाव दिया
नई दिल्ली, एजेंसी। किसानों की शिकायतों और विरोधों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कृषि संकट के कारणों को सूचीबद्ध किया गया है। इन कारणों में अन्य बातों के अलावा स्थिर उपज, बढ़ती लागत और कर्ज और अपर्याप्त विपणन प्रणाली शामिल हैं। पैनल ने कहा कि हाल के दशकों में किसानों और खेत मजदूरों पर कर्ज कई गुना बढ़ गया है।
समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बीएस संधू, मोहाली निवासी देविंदर शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह भी शामिल थे।
शंभू सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों को हल करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह के तहत 2 सितंबर को गठित उच्चस्तरीय समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने और प्रत्यक्ष आय सहायता की पेशकश की संभावना की जांच करने सहित समाधान भी सुझाए।
समिति का गठन करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसानों के विरोध का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को अंतरिम रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया। साथ ही समिति के प्रयासों एवं जांच के लिए मुद्दों को तैयार करने तथा आंदोलन को शांत करने के लिए उसकी प्रशंसा की।
अपनी 11 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में पैनल ने कहा, यह सर्वविदित तथ्य है कि देश में सामान्य रूप से और विशेष रूप से पंजाब तथा हरियाणा के कृषक समुदाय पिछले दो दशकों से लगातार बढ़ते संकट का सामना कर रहे हैं। हरित क्रांति के शुरुआती उच्च लाभों के बाद 1990 के दशक के मध्य से उपज और उत्पादन वृद्धि में ठहराव ने संकट की शुरुआत को चिह्नित किया।
पैनल ने कहा कि हाल के दशकों में किसानों और खेत मजदूरों पर कर्ज कई गुना बढ़ गया है। किसानों पर गैर-संस्थागत कर्ज का भी काफी बोझ है। शुद्ध कृषि उत्पादकता में गिरावट, उत्पादन लागत में वृद्धि, अपर्याप्त विपणन प्रणाली और कृषि रोजगार में कमी ने कृषि आय वृद्धि में कमी में योगदान दिया है। छोटे और सीमांत किसान तथा कृषि श्रमिक इस आर्थिक संकट से सबसे अधिक प्रभावित और कमजोर वर्ग हैं।
वास्तव में, ग्रामीण समाज समग्र रूप से गंभीर आर्थिक तनाव में है। राष्ट्रीय स्तर पर, कुल श्रमिकों का 46 प्रतिशत कृषि में लगा हुआ है, जिनकी आय में हिस्सेदारी केवल 15 प्रतिशत है। छिपी हुई बेरोजगारी की दर बहुत अधिक है और बड़ी संख्या में अवैतनिक पारिवारिक श्रमिक हैं। उनमें से एक महत्वपूर्ण अनुपात कामकाजी गरीब है।
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