अदालत से::::: तलाक की लंबित याचिका के दौरान पत्नी वैवाहिक घर के समान लाभ की हकदार
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की याचिका लंबित रहने के दौरान पत्नी के लिए भरण-पोषण भत्ता बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये प्रति माह कर दिया। इससे पहले हाईकोर्ट ने इसे घटाकर 80 हजार रुपये कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि पत्नी...
- सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी का अंतरिम भरण-पोषण भत्ता बढ़ाया, हाईकोर्ट के फैसला रद्द नई दिल्ली, एजेंसी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तलाक की याचिका लंबित रहने के दौरान पत्नी जीवन की उन सभी सुविधाओं की हकदार है जो उसे अपने वैवाहिक घर में मिलतीं।
इस टिप्पणी के साथ जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ ने मंगलवार को केरल के एक जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ से अलग रह रही पत्नी का अंतरिम भरण-पोषण भत्ता बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये प्रति माह कर दिया। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने भी पत्नी को 1.75 लाख रुपये का अंतरिम भरण-पोषण भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसे मद्रास हाईकोर्ट ने घटाकर 80 हजार रुपये प्रति माह कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने प्रतिवादी (पति) की आय से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया है, जिन पर पारिवारिक न्यायालय ने विचार किया था। इसके अलावा, यह भी रिकॉर्ड में है कि अपीलकर्ता काम नहीं कर रही है और उसने शादी के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता अपने वैवाहिक घर में एक निश्चित जीवन स्तर की आदी थी और इसलिए, तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान वह जीवन की उन्हीं सुविधाओं का आनंद लेने की हकदार है। अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
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