एनसीपी अजित पवार गुट को चुनाव में शदर पवार के नाम, आडियो और वीडियो का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी के अजित पवार गुट को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शरद पवार की तस्वीरें और वीडियो का उपयोग न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पार्टी को अपने पैरों पर खड़े होने की...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी अजित पवार गुट से कहा कि वह अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करें और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार में शरद पवार की तस्वीर, उनके आडियो और वीडियों का इस्तेमाल नहीं करने का सुझाव दिया है। एनसीपी में टूट के बाद निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली गुट को एनसीपी के रूप में मान्यता दी है और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार को अपने गुट का अलग नाम रखना पड़ा है।
जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी शरद चंद्र पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कहा कि वे अदालतों के चक्कर लगाने के बजाय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर अपना अपना ध्यान केंद्रित करें। शीर्ष अदालत ने अजित पवार गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह से कहा कि आप अपने मुवक्किल को कहिए कि ‘वे पुराने या नए वीडियो क्लिप का इस्तेमाल नहीं करें या शरद पवार की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करें, जिनके साथ पार्टी के वैचारिक मतभेद हैं। साथ ही अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करें। पीठ ने अजित पवार गुट से अपने नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और विधानसभा चुनाव से जुड़े प्रतिनिधियों के बीच एक ऑनलाइन परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया। इसमें यह बताना होगा कि शरद पवार की तस्वीर या वीडियो/ऑडियो क्लिप का इस्तेमाल नहीं करेंगे, चाहे वह पुरानी हो या नई।
सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार की अगुवाई वाली गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि ‘इस देश के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और उन्हें इस बात का अच्छी तरह से पता है कि शरद पवार और अजित पवार कौन हैं। उन्हें इतनी आसानी से मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। पीठ ने यह निर्देश दिया तब दिया, जब वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजित पवार गुट के एक विधान पार्षद ने शरद पवार का एक वीडियो क्लिप प्रसारित किया है। पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि जब शीर्ष अदालत का कोई आदेश होता है तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए। साथ ही पहले के आदेशों का हवाला दिया, जिसमें उसने अजित पवार गुट को शरद पवार गुट की तस्वीरों का इस्तेमाल करने से रोक दिया था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मतदाता अजित पवार गुट और शरद पवार गुट के बीच अंतर करने के लिए पर्याप्त समझदार हैं, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस युग में वे कुछ समय के लिए भ्रमित हो सकते हैं जहां नेताओं की आवाज और तस्वीरों का दुरुपयोग किया जा सकता है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
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