यूपी के ध्यानार्थ:::::::अदालत से::::: बंधुआ मजदूर तस्करी रोकने पर प्रस्ताव तैयार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
- राज्यों के साथ बैठक करने का दिया निर्देश - यूपी में पीड़ितों
- राज्यों के साथ बैठक करने का दिया निर्देश - यूपी में पीड़ितों की सहायता के आंकड़ों पर चिंता जताई
नई दिल्ली, एजेंसी।
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिगों सहित बंधुआ मजदूरों की अंतर-राज्यीय तस्करी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र को सभी राज्यों के साथ बैठक कर एक प्रस्ताव तैयार करने का गुरुवार को निर्देश दिया। यह भी कहा कि डिजिटल युग में बंधुआ मजदूरों के लिए एक अलग पोर्टल होना चाहिए।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने यूपी में रिहा कराए गए 5,264 बंधुआ मजदूरों में से केवल 1,101 को तत्काल वित्तीय सहायता मिलने के आंकड़ों को चिंताजनक भी बताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि समस्या बचाए गए बच्चों को तत्काल वित्तीय सहायता के वितरण में थी। यह भी कहा कि कुछ मामलों में नाबालिगों को उनके गृह राज्यों से ले जाया गया और पड़ोसी राज्यों में बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया गया। पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्यों को एकीकृत तरीके इसे निपटाना चाहिए। शीर्ष अदालत बंधुआ मजदूरी के लिए तस्करी किए गए लोगों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की सुनवाई अब छह सप्ताह बाद होगी।
पीड़ितों को नहीं मिली सहायता
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने बचाए गए बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने का मुद्दा उठाया। पीठ ने यूपी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 4,100 से अधिक रिहा किए गए बंधुआ मजदूरों को सहायता नहीं मिली है। वहीं, राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधुआ मजदूरों की संख्या और उन्हें किए गए भुगतान के साथ-साथ जिलावार डाटा संकलित किया है। वह इसे रिकॉर्ड में दर्ज कराएंगे। साथ ही कहा कि राज्य में बंधुआ मजदूरी रोकने की प्रक्रिया को भी रिकॉर्ड पर लाएंगे।
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