87 गवाहों में से 71 मुकरे, हत्या के छह आरोपी बरी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हत्या के मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में 87 गवाह थे, जिनमें से 71 ने अपने बयानों से मुकर गए। अदालत ने कहा कि गवाहों की कमी और सबूतों के अभाव के चलते ये...

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में शुक्रवार को छह आरोपियों को ‘भारी मन से बरी कर दिया। इस ‘अनसुलझे अपराध में कुल 87 गवाह थे, जिनमें से 71 अपने बयानों से मुकर गए। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 27 सितंबर, 2023 के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें निचली अदालत के फैसले को निरस्त करके छह आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। न्यायमूर्ति चंद्रन ने पीठ की ओर से लिखे 49 पन्नों के फैसले में कहा कि इस अनसुलझे अपराध से जुड़े सबूतों के अभाव के परिप्रेक्ष्य में भारी मन से आरोपियों को बरी किया जाता है।
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए और निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हैं। अदालत ने कहा कि यदि अभियुक्त हिरासत में है और किसी अन्य मामले में इसकी जरूरत नहीं है, तो उसे रिहा किया जाए। अति उत्साही जांच पर दुख जताया पीठ ने गवाहों के अदालत में मुकर जाने और ‘अति उत्साही जांच पर दुख जताते हुए कहा कि जांच में आपराधिक कानून के बुनियादी सिद्धांतों की पूरी तरह अनदेखी की गई, ऐसी परिस्थितियों में अभियोजन पक्ष का अकसर मजाक बन जाता है। चश्मदीद गवाह अंधे हो जाते हैं पीठ ने कहा कि गवाह अपने पूर्व के बयानों से मुकर जाते हैं, बरामदगी को पहचानने से इनकार करते हैं, जांच के दौरान बताई गई गंभीर परिस्थितियों से अनभिज्ञता जताते हैं और चश्मदीद गवाह अंधे हो जाते हैं। यह एक विचित्र मामला है, जिसमें कुल 87 गवाहों में से 71 मुकर गए, जिससे अभियोजन पक्ष को पुलिस और आधिकारिक गवाहों की गवाही पर निर्भर रहना पड़ा। बेटा भी पिता के हत्यारों को नहीं पहचान सका अदालत ने आगे कहा कि यहां तक कि इस मामले का एक महत्वपूर्ण चश्मदीद गवाह बेटा भी अपने पिता के हत्यारों की पहचान करने में विफल रहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पुलिस और आधिकारिक गवाहों की गवाही पर भरोसा किया।
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