डिजिटल भुगतान को लेकर महिलाओं को मन में बड़ी शंकाएं
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और वीमेंस वर्ल्ड बैंकिंग के अध्ययन में बताया गया है कि भारत में मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन वे डिजिटल भुगतान में संकोच कर रही...
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड और वीमेंस वर्ल्ड बैंकिंग के साझा अध्ययन में हुआ खुलासा - भारत में मोबाइल इंटरनेंट इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा लेकिन भुगतान करने से बचती हैं।
नई दिल्ली। अरुण चट्ठा
देश में तेजी से ऑनलाइन लेनदेन बढ़ रहा है। खासकर तौर पर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए बड़ी संख्या में लोग लेनदेन कर रहे हैं लेकिन बड़ी संख्या में मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने वाली महिलाएं अभी तक सीमित संख्या में यूपीआई का इस्तेमाल कर रही है। यूपीआई को लेकर उनके मन में कई तरह की शंकाएं हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ ठगी हो सकती है या फिर यह माध्यम सुरक्षित नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड (एनपीसीआई) और वीमेंस वर्ल्ड बैंकिंग (डब्ल्यूडब्ल्यूबी) द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात निकल कर आई है।
यूपीआई फोर हर (उसके लिए यूपीआई) शीर्षक से किया गया अध्ययन में महिलाओं की डिजिटल वित्तीय क्षमता और यूपीआई के प्रति उनकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन को देखा गया। डिजिटल भुगतान को लेकर उनके व्यवहार पर बारीकी से अध्ययन किया गया और फिर सावधान संतुलनकर्ता, अन्वेषक (खोजकर्ता), भंयकर रूढ़िवादी, तटस्थ जैसी चार श्रेणी में महिलाओं को रखा गया। उसके बाद कहा गया कि सावधान संतुलनकर्ता और तटस्थ श्रेणी में शामिल महिलाओं को यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान व लेनदेन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह अध्ययन कानपुर, कानपुर देहात, तमिलनाडु के तिरुपुर, मथुरा, अयोध्या और महाराष्ट्र के बांद्रा समेत अन्य हिस्सों में किया गया। कानपुर और कानपुर देहात में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग ( एमएसएमई) संचालित करने वाले 15 महिलाओं और गैर एमएसएमई क्षेत्र से जुड़ी 15 महिलाओं से बातचीत की गई। इसके साथ ही देश के अन्य हिस्सों में अलग-अलग श्रेणी में आने वाले महिलाओं से डिजिटल पेमेंट को लेकर बात की गई।
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डिजिटल भुगतान में श्रेणी बार महिलाओं की स्थिति
सावधान संतुलनकर्ता: इस श्रेणी में शामिल महिलाओं की वित्तीय डिजिटल क्षमता कम है लेकिन डिजिटल भुगतान के प्रति अच्छी प्रेरणा है और उसके लाभ को भी देखती हैं। भुगतान में गलती होने, ओटीपी के नाम पर ठगी होने तक काडर रहता है। उन्होंने कई तरह के खराब अनुभव भी सुने हैं। प्रोत्साहित किए जाने की पर्याप्त संभावना।
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अन्वेषक : इनकी डिजिटल भुगतान के प्रति अच्छी प्रेरणा है और वित्तीय क्षमता भी उच्च है। इन्हें डिजिटल भुगतान के लाभों को अनुभव किया है। इन्होंने नियमित तौर पर विश्वास के साथ डिजिटल भुगतान का लाभ उठाया है और लगातार प्रयोग कर रही है। इस श्रेणी में शामिल महिलाओं को डिजिटल भुगतान के प्रेरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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भंयकर रूढ़िवादी : ऐसे महिलाएं जो किसी भी तरह के डिजिटल भुगतान पर भरोसा नहीं करती है। पूरी तरह से रूढ़िवादी है और बैंक शाखा के जरिए ही अपने लेनदेन करती हैं। इनके लिए नकद में लेनदेन करना सबसे प्रमुख है। इस श्रेणी में शामिल महिलाओं पर कोई प्रयास किया जाना सही नहीं है।
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तटस्थ (अनिश्चित) : इस श्रेणी में आर्थिक रूप से संपन्न व कारोबार क्षेत्र से जुड़ी ऐसी महिलाएं आती हैं जो डिजिटल भुगतान के लिए कम प्रेरित हैं और उनके पास भुगतान करने की उच्च क्षमता है। यह पूरी तरह डिजिटल भुगतान से परिचत है लेकिन निर्णय लेने की क्षमता बेहद कम है, जिसकी वजह से उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।
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सुझाव : अध्ययन तटस्थ और सावधान संतुलनकर्ता श्रेणी में शामिल महिलाओं को डिजिटल भुगतान के प्रति प्रेरित करने का सुझाव देता है।
- सावधान संतुलनकर्ता श्रेणी में आने वाली महिलाओं को भुगतान की गारंटी देने के लिए प्रीपेड पेमेंट इंस्टूमेंट (पीपीआई) बेहद उपयोग है। क्योंकि इसमें धनराशि वॉलेट में होल्ड रखी जाती है, जिसमें ट्रांजैक्शन फेल होने का खतरा नहीं है। यह बचत खाते से लिंक नहीं होती है, जिससे महिलाएं आसानी से भुगतान कर सकती हैं।
- तटस्थ श्रेणी में आने वाली महिलाओं के लिए यूपीआई फोर मर्चेंट को कारगर है जो सहज और तेज लेनदेन करने में सक्षम है। ग्राहक बैंक खाता या कार्ड विवरण दर्ज किए बिना सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान कर सकते हैं। अध्ययन में महिलाओं ने कहा कि यूपीआई मर्चेंट उपयोगी है और वो इस माध्यम से डिजिटल लेनदेन को10 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी तक कर सकती हैं। शहरी और अर्धशहरी इलाकों में माइक्रो बिजनेस से जुड़ी 25 सौ महिलाओं पर इसका अध्ययन किया और पाया कि उन्होंने सफल तरीके से मर्चेंट का उपयोग बढ़ाया है।
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भारत में महिलाओं से जुड़े अहम आंकड़े
- 53.6 करोड़ (15 वर्ष से अधिक की महिलाएं)
- 20.0 करोड़ मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता जो 15 वर्षी से ऊपर की आयु की 37 फीसदी
- 12.6 करोड़ मोबाइल इंटरनेंट उपयोगकर्ता गैर श्रमिक रूप से कार्यरत
- 7.4 करोड़ मोबाइल इंटरनेंट उपयोगकर्ता श्रमिक के रूप में सेवारत
- 2014 में सिर्फ 14, 2021-22 में 28, 2022 में 20 और 2022-23 में 37 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट कर्ता महिला।
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