दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की मजबूती के लिए सिंगापुर अहम
सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षण्मुगरत्नम भारत यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी वार्ता में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत-सिंगापुर के राजनयिक रिश्तों को 60 साल हो रहे हैं और दोनों...
मदन जैड़ा - भारत यात्रा पर आए सिंगापुर के राष्ट्रपति की प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्ता आज
- भारत-सिंगापुर के राजनयिक रिश्तों को 60 साल पूरे होने जा रहे
35.6 अरब डॉलर का कारोबार हुआ बीते वर्ष दोनों देशों में
11.77 अरब डॉलर सबसे ज्यादा निवेश सिंगापुर से आया
नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत दक्षिण पूर्व एशिया में लगातार खुद को मजबूत कर रहा है। भारत की एक्ट ईस्ट नीति इसी नजरिये को दिखाती है। दक्षिण पूर्व एशिया यानी आसियान देशों में भारत की मजबूती में सिंगापुर एक सेतु का काम कर रहा है। सिंगापुर आसियान का सबसे मजबूत स्तंभ है। इसके अलावा सिंगापुर के साथ भारत के आर्थिक और सामरिक रिश्ते भी प्रगाढ़ हो रहे हैं।
भारत यात्रा पर आए सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षण्मुगरत्नम गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता करेंगे। इस दौरान द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। सिंगापुर भारत को सेमीकंडक्टर क्लस्टर विकास, इसकी डिजाइनिंग और निर्माण में मदद कर रहा है। दरअसल, सिंगापुर को भी तेजी से बढ़ती और दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में अपने लिए अवसर नजर आते हैं। वह भारत का छठा बड़ा व्यापारिक साझीदार तथा देश में बीते चार सालों में आए एफडीआई में एक चौथाई का भागीदार है।
यह साल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत-सिंगापुर के राजनयिक रिश्तों को 60 साल पूरे होने जा रहे हैं। 1965 में सिंगापुर को मान्यता देने वाले देशों में भारत भी एक था। सिंगापुर ने भी भारत के साथ अपने रिश्तों को निभाया और गुट निरपेक्ष आंदोलन से लेकर आसियान तक में लगातार मजबूती से भारत के साथ खड़ा रहा। आज आसियान देशों (दक्षिण पूर्व एशिया देशों) के साथ रिश्तों की मजबूती में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आसियान देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, थाइलैंड, वियतान की राह भी सिंगापुर होकर जाती है। इसलिए इन देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों की मजबूती में भी सिंगापुर अहम है। सिंगापुर के साथ भारत के सामरिक सहयोग ने दक्षिण चीन सागर में भारत की पहुंच को आसान बना दिया है। वह हिंद महासागार में भारत का मजबूत सुरक्षा साझीदार बनकर भी उभरा है। वहां दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त युद्धाभ्यास करती हैं।
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बीते वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं दोनों देशों के रिश्ते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं। पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पांचवीं बार सिंगापुर की यात्रा पर गए तो दोनों देशों के रिश्ते समग्र रणनीतिक भागीदारी में बदले। सिंगापुर के प्रधानमंत्री भी कई मौकों पर भारत आए हैं। 2018 में वह गणतंत्र दिवस समारोह और आसियान इंडिया सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इससे पूर्व वे 2016 में द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत आए। 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भी सिंगापुर के प्रधानमंत्री भारत पहुंचे थे। दोनों देशों के मंत्रियों द्वारा लगातार एक-दूसरे देशों की यात्राएं की जाती रही हैं।
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चार वर्षों में कुल एफडीआई का 24 फीसदी निवेश सिंगापुर से
सिंगापुर-भारत के बीच 2023-24 में 35.6 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। सिंगापुर से भारत को बड़ी मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी प्राप्त होता है। वर्ष 2023-24 के दौरान सिंगापुर से सबसे ज्यादा निवेश 11.77 अरब डॉलर भारत आया है। 2020-2024 के बीच सिंगापुर से कुल 167 अरब डॉलर का निवेश आया है, जो भारत में आए कुल एफडीआई का 24 फीसदी है।
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सेमीकंडक्टर पर बड़ा समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर को लेकर बड़ा समझौता हुआ। इस पर अमल शुरू हो गया है। दोनों देशों के बीच रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी, साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में भी अनेक समझौते हुए हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध भी प्रगाढ़ हैं।
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भारतीय मूल की आबादी 9.1 फीसदी
सिंगापुर में 9.1 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है। खुद राष्ट्रपति षण्मुगरत्नम तमिल मूल के हैं। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर वहां भारतीय कार्मिक, छात्र, आईटी पेशेवर भी हैं। सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में एक तमिल भी है। कई स्थानीय स्कूलों में हिन्दी, गुजराती, उर्दू, बंगाली तथा पंजाबी भी पढ़ाई जाती है।
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