नई प्रत्यक्ष कर संहिता में करदाता की पहचान सरल होगी
आयकर अधिनियम 1961 में बदलाव के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर संहिता 2025 को सरल बनाने का निर्देश दिया। नए नियमों में करदाता की पहचान, पूंजीगत लाभ का वर्गीकरण, और रोजगार से आय के नाम...
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। इनकम टैक्स का नाम सुनते ही कर, छूट, कटौती और सबसे ज्यादा उसकी जटिल शब्दावली को लेकर पसीने छूटने लगते हैं। आम आदमी की कर कानूनों को लेकर इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों में बदलाव करने की तैयारी चल रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर संहिता को आम लोगों के लिए सरल और आसान भाषा में लाने का निर्देश दिया था ताकि सरल कानून और सुसंगत कर दरों से कानूनी विवादों को कम किया जा सके। वैसे तो इसके बारे में 2009 से ही चर्चा चल रही है लेकिन नई प्रत्यक्ष कर संहिता 2025 में बजट के समय पेश किए जाने की पूरी संभावना है। होने वाले कुछ बड़े बदलावों की पेश है-
1. करदाता की पहचान सरल होगी:
करदाताओं को निवासी या गैर-निवासी के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इससे जुड़े भ्रामक शब्दों को हटाया जा रहा है जिससे आरओआर (निवासी और सामान्यतः निवासी), आरएनओआर (निवासी लेकिन सामान्यतः निवासी नहीं), एनआर (गैर-निवासी) श्रेणी समाप्त हो जाएंगी।
2. वर्ष को लेकर भ्रम खत्म होगा :
कोड में कर निर्धारण वर्ष और पिछले वर्ष शब्दों को हटा दिया गया है। कर दाखिल करने के लिए केवल वित्तीय वर्ष शब्द ही लागू होगा।
3. पूंजीगत लाभ नियमित आय माना जाएगा:
पूंजीगत लाभ पर कर नियमित आय के रूप में लगाया जाएगा। इसका अर्थ यह हो सकता है कि कुछ लोगों के लिए कर अधिक होगा, लेकिन इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी प्रकार की आय पर समान रूप से कर लगाया जाएगा। वित्तीय परिसंपत्तियों पर अल्पकालिक लाभ पर 20% (15% से ऊपर) कर लगाया जाएगा, जबकि दीर्घकालिक लाभ पर 12.5% (20% से नीचे) कर लगाया जाएगा।
4. वेतन आय नहीं अब रोजगार से आय कहें:
वेतन से आय को अब रोजगार आय कहा जाएगा और अन्य स्रोतों से आय का नाम बदलकर बाकी स्रोतों से आय कर दिया गया है।
5. आयकर भरने में मदद करने वाले बढ़ेंगे:
सीए, सीएस और सीएमए को अब टैक्स ऑडिट करने की अनुमति दी जा सकती है, जो पहले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तक सीमित थी, जिससे टैक्स ऑडिट अधिक सुलभ हो जाएगा।
6. कंपनियों के लिए एकसमान कर दर:
घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियां अब एक ही कर दर का भुगतान करेंगी, जिससे अनुपालन आसान हो जाएगा और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
7. सभी प्रकार की आय पर टीडीएस और टीसीएस:
नई कर प्रणाली के तहत, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) लगभग सभी प्रकार की आय पर लागू होगा। इससे सुनिश्चित होगा कि करों का भुगतान नियमित रूप से हो और इससे कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। कई भुगतानों के लिए टीडीएस दर 5% से घटकर 2% हो जाएगी। ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए, टीडीएस दर 1% से घटकर 0.1% हो जाएगी, जिससे करदाताओं को राहत मिलेगी और ई-कॉमर्स व्यवसायों के लिए अनुपालन सरल हो जाएगा।
8. ज्यादातर कटौतियों और छूट की छुट्टी होगी:
अधिकांश कटौती और छूट हटा दी जाएंगी, जिससे कर दाखिल करना आसान हो जाएगा। इससे कर प्रणाली अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बन सकेगी। हालांकि, नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती 50% की वृद्धि के साथ ₹75,000 हो गई है।
प्रत्यक्ष कर संहिता-2025 के लक्ष्य
-कर नियमों को सरल बनाएं ताकि उन्हें समझना आसान हो
-करदाता संख्या जनसंख्या के 1% से बढ़ाकर 7.5% करना
-लोगों के लिए कर विनियमों का पालन आसान बनाना
-स्पष्ट कर कानूनों से कानूनी विवादों को कम करना
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