जग्गी भाइयों ने महंगे फ्लैट और तोहफों पर लुटाया कंपनी का पैसा
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रवर्तकों अनमोल और पुनीत जग्गी पर कार्रवाई की है। आरोप है कि उन्होंने कंपनी के पैसे का गलत इस्तेमाल किया। सेबी ने उन्हें निदेशक बनने और शेयर...

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रवर्तकों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर कार्रवाई की है। सेबी ने दोनों को कंपनी में निदेशक बनने और शेयर बाजार में कारोबार करने से रोक दिया है। आरोप है कि इन्होंने कंपनी के पैसे का गलत इस्तेमाल किया है। सेबी ने कंपनी के शेयरों को विभाजित करने की योजना पर भी रोक लगा दी है। सेबी के अंतरिम आदेश में कहा गया है कि अनमोल सिंह जग्गी ने कंपनी के कर्ज की रकम से गुरुग्राम में 42.94 करोड़ रुपये में एक महंगा अपार्टमेंट खरीदा। यह फ्लैट 'द कैमेलियास' नाम की एक पॉश सोसायटी में है। आरोप है कि जग्गी ने यह रकम जेनसोल से गो-ऑटो प्राइवेट लिमिटेड से कैपब्रिज वेंचर्स को भेजी। कैप ब्रिज वेंचर्स अनमोल जग्गी और पुनीत जग्गी की कंपनी है। फिर उस राशि से अपनी ही एक कंपनी से जुड़े व्यक्ति को भुगतान करवाया। इसके बाद उस व्यक्ति ने उस रकम का इस्तेमाल महंगा अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया। सिर्फ अपार्टमेंट ही नहीं, ऐसी और भी कई जानकारी सामने आई हैं जिनसे पता चलता है कि जग्गी कितनी लग्जरी लाइफ जीते थे। निवेशकों की रकम से जग्गी ने 10.36 लाख रुपये स्पा ट्रीटमेंट भी लिया। उन्होंने 26 लाख रुपये का गोल्फ गियर भी खरीदा था।
यही नहीं, जग्गी ने मेकमायट्रिप के जरिये निजी यात्राओं पर 3 लाख रुपये खर्च किए। यूएई दिरहम के लिए 1.86 करोड़ रुपये, टाइटन की घड़ियां या ज्वेलरी पर 17.28 लाख रुपये खर्च किए। आईसीआईसीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने के लिए 9.95 लाख रुपये खर्च किए गए। इसके अलावा अनमोल जग्गी ने 2.98 करोड़ रुपये अपनी पत्नी मुग्धा कौर जग्गी और 6.20 करोड़ रुपये अपनी मां जस्मिंदर कौर के खाते में ट्रांसफर किए।
ब्लूस्मार्ट की रकम भी निजी इस्तेमाल में खर्च की
जेनसोल इंजीनियरिंग ब्लूस्मार्ट की पैरेंट कंपनी है। ब्लूस्मार्ट कैब कई शहरों में एयरपोर्ट से पिकअप और ड्रॉप की सुविधा देती है। साल 2022 में जेनसोल ने इलेक्ट्रिक वाहन खरीद के लिए इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी से 71.41 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इस कर्ज के साथ ही कंपनी के 26 करोड़ रुपये गो-ऑटो के जरिए विभिन्न संस्थाओं में ट्रांसफर किया गया। इस तरह कुल लगभग 97 करोड़ रुपये हो गए।
अब क्या होगा सेबी का एक्शन?
सेबी इस मामले की गहराई से जांच करेगी। इसके लिए एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया जाएगा। यह ऑडिटर कंपनी और उससे जुड़ी कंपनियों के खातों की जांच करेगा। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने अपने आदेश में कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने धोखाधड़ी करके कंपनी के पैसे का गलत इस्तेमाल किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन पैसों का फायदा सीधे तौर पर उन्हें ही मिला है।
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