सेबी का नई परिसंपत्ति श्रेणी लाने का फैसला
मुंबई, एजेंसी। सेबी के निदेशक मंडल ने उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए नई परिसंपत्ति श्रेणी को मंजूरी दी है। इस श्रेणी में निवेशक कम से कम 10 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं। इससे परिसंपत्ति निर्माण में...
मुंबई, एजेंसी। बाजार नियामक सेबी के निदेशक मंडल ने उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए एक नई परिसंपत्ति श्रेणी शुरू करने के प्रस्ताव पर सोमवार को मुहर लगा दी। नई परिसंपत्ति की इस श्रेणी में प्रति निवेशक न्यूनतम 10 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है। नया निवेश विकल्प आने से परिसंपत्ति निर्माण में लचीलापन लाया जा सकेगा और म्यूचुअल फंड एवं पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी एक बयान में नियामक ने कहा कि ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) जैसे सूचकांकों पर नजर रखने से जुड़ी म्यूचुअल फंड योजनाओं (पैसेविली म्यूचअल फंड) के लिए नियामक ढांचे को ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इससे अनुपालन जरूरतों को कम करने में मदद मिलेगी।
सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में कुल 17 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें भेदिया कारोबार नियमों में संशोधन और निवेश सलाहकारों एवं शोध विश्लेषकों के लिए पात्रता मानदंड और अनुपालन शर्तों में रियायत देना शामिल है।
अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद निदेशक मंडल की यह पहली बैठक थी। हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अदाणी के नियंत्रण वाले विदेशी कोष में निवेश करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस कोष का कथित तौर पर इस्तेमाल पैसे की हेराफेरी और शेयरों की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया गया था।
इसके अलावा रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) से संबंधित नियमों में संशोधन कर ब्लैकस्टोन को फायदा पहुंचाने का आरोप भी हिंडनबर्ग ने लगाया था। बुच के पति ब्लैकस्टोन में एक वरिष्ठ सलाहकार थे। हालांकि बुच दम्पति और सेबी ने इन आरोपों को नकार दिया था। सेबी के निदेशक मंडल ने मध्यस्थों द्वारा प्रतिभूति कानूनों के कुछ उल्लंघनों को अधिक तेजी से और कुशलता से निपटाने के लिए मध्यस्थ इकाइयों से संबंधित नियमों में अल्प अवधि की कार्यवाही के प्रावधान लाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।
इसके अलावा सेबी ने प्रस्ताव दस्तावेज में खुलासा संबंधी प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाया है और इसे धन जुटाने का पसंदीदा मार्ग बनाने के लिए राइट इश्यू प्रसंस्करण समय को कम कर दिया है।
बाजार नियामक ने प्रवर्तकों को राइट इश्यू के दौरान चुनिंदा निवेशकों को अपने राइट इश्यू से जुड़े अधिकार हस्तांतरित करने की अनुमति देने वाले प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी। इससे बाजार में अधिक निवेश आकर्षित होने का अनुमान है।
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