गिरते रुपये से वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे
मुंबई में डॉलर के मुकाबले रुपया 86.62 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ, जो दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे महंगाई का बोझ बढ़ेगा और आयात खर्च में वृद्धि होगी,...
मुंबई, एजेंसी। अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बीच रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 (अस्थायी) के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट को आम आदमी के लिहाज से देखा जाए तो उसकी जेब पर भी बोझ बढ़ेगा। पिछले दो सप्ताह में रुपये में अमूमन गिरावट का ही रुख रहा है। रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में एक रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है। रुपया पहली बार 19 दिसंबर, 2024 को 85 प्रति डॉलर के पार गया था। पिछले कारोबारी दिवस शुक्रवार को रुपया 86.04 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था।
विशेषज्ञ कहते हैं कि रुपये की गिरावट से जहां अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी तो वहीं आम आदमी की जेब पर भी महंगाई का बोझ बढ़ेगा। भारत में पेट्रोल-डीजल से लेकर अन्य आयात किए जाने वाले सामान महंगे हो सकते हैं। भारत दुनिया के बाकी देशों से जो भी सामान खरीदता है, उसमें से अधिकांश का भुगतान डालर में करता है। इससे साफ है कि एक डॉलर को खरीदने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। इससे आयात खर्च बढ़ेगा, जिससे देश के अंदर पेट्रोल, डीजल, गैस, सूखे मेवा, खाद्य तेल, कपड़े समेत अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती है। ऊपर से सरकार का विदेशी रिजर्व भी कम होगा।
कोट ---
भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर कर ज्यादा है। इससे बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। अब सरकार को रुपये में गिरावट से महंगाई के खतरे को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर कोरोना के समय लगाई गई ड्यूटी एवं वैट को हटाना चाहिए, जिससे कीमतों पर कोई असर न पड़े।
अरुण कुमार, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।