बढ़ते तापमान-प्रदूषण से मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा
- सदी के अंत तक हर पांचवां व्यक्ति स्वास्थ्य जोखिम से जूझेगा नंबर
बर्लिन, एजेंसी। बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ सकता है। तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो इस कारण हर साल तीन करोड़ लोग मारे जा सकते हैं। जर्मनी में स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के एक शोध में ये आशंका जताई गई है। अध्ययन विज्ञान पत्रिका न्यूज मेडिकल लाइफ साइंस में प्रकाशित हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने एक उन्नत संख्यात्मक सिमुलेशन का प्रयोग कर यह शोध किया है। उन्होंने पाया, वायु प्रदूषण और अधिक तापमान से जुड़ी वार्षिक मृत्यु दर सदी के अंत तक अनियंत्रित हो सकती है। प्रदूषण से संबंधित मौतें पांच गुना, जबकि बढ़ते तापमान से संबंधित मृत्यु दर सात गुना तक बढ़ सकती है। इस कारण सदी के अंत तक दुनिया की कम से कम 20 फीसदी आबादी यानी हर पांचवां शख्स गंभीर स्वास्थ्य जोखिम झेलने को मजबूर होगा। अनुमान है कि भविष्य में तापमान से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम वायु प्रदूषण से जुड़े खतरों से अधिक होगा।
प्रमुख शोधार्थी डॉ. एंड्रिया पॉजर ने बताया कि उन्होंने उन्नत संख्यात्मक सिमुलेशन का प्रयोग कर 2000 से 2090 तक तापमान और वायु प्रदूषण में होने वाले बदलावों की गणना की, जिसका हर दस साल के अंतराल पर विश्लेषण पेश किया। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा है। ये निष्कर्ष भविष्य में लोगों की जान बचाने के लिए जरूरी उपाय लागू करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
अनुमान डरावने
1. तापमान
शोधार्थियों ने पाया, 2000 से 2010 के बीच हर साल बढ़ती गर्मी के कारण औसतन 16 लाख लोग मारे गए। उन्होंने कहा, तापमान और बढ़ा या यही हाल रहे तब भी सदी के अंत तक यह आंकड़ा सात गुना की वृद्धि के साथ 1.08 करोड़ हो जाएगा।
2. प्रदूषण
शोधार्थियों ने पाया, 2000 से 2010 के बीच हर साल वायु प्रदूषण के कारण औसतन 41 लाख लोग मारे गए। वायु प्रदूषण और बढ़ा या यही हाल रहे तब भी सदी के अंत तक यह आंकड़ा पांच गुना बढ़कर 1.95 करोड़ हो जाएगा।
एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित होगा
अध्ययन भविष्य की मृत्यु दर में क्षेत्रीय अंतर दिखाते हैं। दक्षिण और पूर्वी एशिया में वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौत होने का अनुमान है। ऐसा इसलिए क्योंकि सदी के अंत तक इस क्षेत्र में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। वहीं, पश्चिमी यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया में गर्मी बढ़ने से लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे मृत्यु का जोखिम बढ़ जाएगा। वहीं, इन क्षेत्रों के कुछ देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और न्यूजीलैंड में ये बदलाव अभी से देखे जाने लगे हैं।
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