ऑनलाइन पैसा भेजने में अब नहीं होगी गड़बड़ी
भारतीय रिजर्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान विधियों में लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की सुविधा विकसित करने का निर्णय लिया है। यह सुविधा एक अप्रैल, 2025 से लागू होगी, जिसका उद्देश्य गड़बड़ी और...
मुंबई, एजेंसी। भारतीय रिजर्व बैंक ने ऑनलाइन पैसा अंतरित करने में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम से एक ऐसी सुविधा विकसित करने को कहा है जिससे आरटीजीएस और एनईएफटी का उपयोग करने वाले ग्राहकों को उस बैंक खाते के नाम को सत्यापित करने की अनुमति मिल सके जिसमें पैसा भेजा जा रहा है। यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2025 से प्रभाव में आएगी। रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि 'रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट' (आरटीजीएस) यानी वास्तविक समय पर भुगतान से जुड़ी प्रणाली और 'राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कोष अंतरण' (एनईएफटी) प्रणाली से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े सभी बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे एक अप्रैल, 2025 से पहले यह सुविधा प्रदान करें। वर्तमान में, यूपीआई और तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) में लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की सुविधा है।
इस पहल का मकसद आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली का उपयोग कर पैसा भेजने वालों के लिए गड़बड़ी और धोखाधड़ी पर लगाम लगाना है। ग्राहकों को लाभार्थी खाता नाम देखने की सुविधा के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में आरबीआई से आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान विधियों में प्राप्तकर्ता के नाम को सत्यापित करने की व्यवस्था जल्द लागू करने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए ऐसी प्रणाली महत्वपूर्ण है और इसमें देरी से हजारों निर्दोष उपभोक्ताओं पर असर पड़ सकता है, जिन्होंने यह जाने बिना भुगतान कर दिया कि लाभार्थी कौन है। अदालत निर्दोष लोगों को ठगने के लिए धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइट द्वारा कई संस्थाओं के ट्रेडमार्क का दुरुपयोग करने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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