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विकसित राष्ट्र में निजी क्षेत्र की होगी अहम भूमिका: नागेश्वरन

भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निजी क्षेत्र को अनुसंधान, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और श्रमिकों के वेतन में असमानता दूर...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 31 Jan 2025 08:38 PM
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विकसित राष्ट्र में निजी क्षेत्र की होगी अहम भूमिका: नागेश्वरन

- मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास से लेकर मानसिक स्वास्थ्य जैसे बिंदुओं पर काम करने की जरूरत नई दिल्ली। विशेष संवाददाता

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका होगी। खास तौर पर जब भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो उसके लिए निजी क्षेत्र में बड़े सुधार एवं बदलाव की आवश्यकता है। शुक्रवार को मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डॉ. वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि निजी क्षेत्र भारत की प्रगति का मुख्य केंद्र होगा लेकिन इसके साथ कॉरपोरेट को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति ज्यादा जबावदेह होना होगा। राष्ट्र निर्माण में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका होगी। इसलिए आय और श्रमिकों को दी जाने वाले वेतन में असमानता को भी दूर करना चाहिए।

नागेश्वरन ने कहा कि भारत के तेज आर्थिक प्रगति के लिए निजी क्षेत्र को कई अहम काम करने होंगे। उन्हें अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को बढ़ाना होगा। इसके साथ ही पूंजी और श्रम का संतुलन,कार्यस्थल की संस्कृति और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, कार्यस्थल सुरक्षा, अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर अंकुश , आय का उचित वितरण और कारोबार को गति देने के लिए रणनीतिक सोच को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए कॉरपोरेट को सामाजिक दायित्व के तहत श्रमिकों से जुड़े भत्तों को भी बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के कारण कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। इसलिए श्रमिकों से लेकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर काम किए जाने की जरूरत है। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एआई) के जरिए अपनी आर्थिक विकास दर को गति देने का मौका है। बाकी भविष्य के लिहाज से देश में आर्थिक विकास को गति देने के लिए कई सकारात्मक संकेत है। महंगाई दर नियंत्रण में है और आने वाले वर्ष में भी कम रहेगी। ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ रही है, जिससे कारोबार में इजाफा होगा।

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नवीकरणीय ऊर्जा को लगातार बढ़ाए जाने की जरूरत

सीईए ने कहा कि आर्थिक विकास के साथ देश की ऊर्जा जरुरतें भी तेजी से बढ़ रही है। ऊर्जा से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत पर्यावरण का भी ख्याल रख रहा है। इसलिए भारत लगातार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ा रहा है। इसमें सोलर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2030 तक भारत की कुल ऊर्जा में सोलर से प्राप्त ऊर्जा की हिस्सेदारी करीब 40 से 50 प्रतिशत तक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सभी को गंभीर होना होगा। खास तौर पर विकसित राष्ट्रों को इसके प्रति ज्यादा अनुदान देने चाहिए और सामूहिक प्रयास करना चाहिए।

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सामूहिक प्रयास से छोटे बदलाव लेकिन बड़ा प्रभाव

- अगर वैश्विक स्तर पर जनसंख्या अपनी जीवन शैली में साइकिल का इस्तेमाल करमे जैसे कुछ बदलाव करे तो कार्बन उत्सर्जन में 20 प्रतिशत तक कमी संभव।

- अपनी थाली का खाना खत्म करने से प्रति व्यक्ति सालाना 90 किलोग्राम खाद्य अपशिष्ट को बचा सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

- कारपूलिंग और सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन में कमी ला सकते हैं। कार पूलिंग से भारत में प्रतिदिन 7.80 लाख सवारी कम करे 380 मिलियन लीटर ईंधन बचाया जा सकता है।

- एक टन अखबार को रीसाइकिलंग करने से 25 हजार लीटर पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है, जिससे संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग हो सकता है।

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