Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsPrime Minister Modi s Historic Visit to Kuwait After 43 Years to Strengthen Bilateral Relations

भारत-कुवैत का रिश्ता तेल कारोबार से भी पुराना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 43 सालों बाद कुवैत की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा भारत और कुवैत के बीच के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने में मददगार साबित होगी। दोनों देशों के बीच...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 19 Dec 2024 07:26 PM
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भारत-कुवैत का रिश्ता तेल कारोबार से भी पुराना

43 सालों बाद प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत की राजकीय यात्रा हो रही मदन जैड़ा

नई दिल्ली। भारत और कुवैत के रिश्ते तेल कारोबार यानी तेल युग से भी ज्यादा पुराने हैं। दोनों देशों के बीच दशकों से ऐतिहासिक और गतिशील संबंध हैं जो साझा इतिहास, मजबूत व्यापार, जीवंत सांस्कृतिक संबंधों और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान परस्पर सहयोग पर आधारित हैं। ऐसे में 43 सालों के बाद हो रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत की राजकीय यात्रा इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में मददगार साबित होगी।

कुवैत में 1961 तक वैध मुद्रा रहा रुपया

विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, जो तेल के आगमन से पहले से हैं। तब भारत के साथ समुद्री व्यापार इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ था। कुवैत की अर्थव्यवस्था अपने बेहतरीन बंदरगाह और समुद्री गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती थी। इसमें जहाज निर्माण, मोती गोताखोरी, मछली पकड़ना और खजूर, अरबी घोड़े और मोती ले जाने वाली लकड़ी की नावों पर भारत की यात्राएं शामिल थीं। भारत से लकड़ी, अनाज, कपड़े और मसालों का व्यापार किया जाता था। यही वजह थी कि भारतीय रुपया 1961 तक कुवैत में वैध मुद्रा रहा, जो स्थायी आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

1961 में राजनयिक संबंध शुरू हुए

भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना 1961 में हुई। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों के बीच कई उच्चस्तरीय यात्राएं हुई हैं, जिनमें तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन (1965), प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (1981) और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (2009) की कुवैत यात्राएं शामिल हैं। कुवैत के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री शेख सबा अल-सलेम अल-सबाह (1964), अमीर शेख जाबेर अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह (1980) और फिर 1983 में (नाम शिखर सम्मेलन के लिए), अमीर शेख सबा अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह (2006), प्रधानमंत्री शेख जाबेर अल-मुबारक अल-हमद अल-सबाह (2013) की यात्राएं शामिल हैं। जुलाई 2017 में अमीर शेख सबा अल अहमद अल जबर अल सबा ने निजी यात्रा पर भारत का दौरा किया था। दोनों पक्षों की ओर से पिछली उच्चस्तरीय यात्रा 2013 में कुवैत के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा थी। इसी साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और कुवैत के क्राउन प्रिंस की मुलाकात हुई थी।

भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार

भारत और कुवैत ने संयुक्त सहयोग आयोग (जेसीसी) जैसे तंत्रों के माध्यम से अपने सहयोग को संस्थागत रूप दिया है, जिसकी स्थापना हाल में हुई है। व्यापार, निवेश, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि, सुरक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में सात नए संयुक्त कार्य समूह स्थापित किए गए हैं। कुवैत भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर है। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की तीन फीसदी ऊर्जा जरूरत को पूरी करता है। कुवैत को भारतीय निर्यात पहली बार दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। कुवैत निवेश प्राधिकरण ने भारत में 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक निवेश किया है।

कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय

कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिसकी संख्या लगभग दस लाख है। ये कुवैत के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं और दोनों देशों के बीच एक जीवित सेतु के रूप में योगदान दे रहा है। घरेलू कामगारों की भर्ती पर समझौता ज्ञापन जैसे द्विपक्षीय समझौतों द्वारा जनशक्ति क्षेत्र में गतिशीलता को सुगम बनाया गया है। वहां 200 से अधिक भारतीय संगठन सक्रिय रूप से सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय पहलों का आयोजन करते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होते हैं।

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