भूकंप के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने की जरूरत: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने आईएमडी के 150 साल पूरे होने पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए 'मिशन मौसम' की शुरुआत की। उन्होंने भूकंप चेतावनी प्रणाली विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि उन्नत मौसम...
- प्रधानमंत्री मोदी ने आईएमडी के 150 साल पूरे होने के मौके पर वैज्ञानिकों को संबोधित किया - देश को प्रत्येक मौसम का सामना करने के उद्देश्य से ‘मिशन मौसम की शुरुआत की
नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वैज्ञानिकों से भूकंप के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मौसम के उन्नत पूर्वानुमानों ने चक्रवात के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को काफी कम किया है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 150 साल पूरे होने के अवसर पर भारत मंडपम में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने संस्थान की सराहना करते हुए इसे भारत की वैज्ञानिक यात्रा का प्रतीक बताया। मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि किस तरह उन्नत मौसम पूर्वानुमान से चक्रवातों के दौरान होने वाली मौतों और आर्थिक नुकसान में उल्लेखनीय कमी आई। इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा और आर्थिक लचीलापन बना।
प्रधानमंत्री ने कहा, मौसम विज्ञान किसी भी देश की आपदा प्रबंधन क्षमता की रीढ़ है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए, हमें मौसम विज्ञान की दक्षता को अंतिम स्तर तक बढ़ाने करने की आवश्यकता है। उन्होंने याद किया कि कैसे 1998 में गुजरात के कांडला में चक्रवात और 1999 के ओडिशा सुपर चक्रवात ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। उन्होंने कहा, लेकिन बेहतर पूर्वानुमान के कारण जानमाल का नुकसान अब कम से कम है।
जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में सोमवार को 6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का उद्घाटन करने के अपने दौरे का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि आईएमडी ने सुझाव दिया था कि उद्घाटन समारोह 13 जनवरी को आयोजित किया जाए क्योंकि बर्फ से ढके सोनमर्ग में मौसम साफ रहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान में प्रगति और इसकी पूरी क्षमता का उपयोग देश की प्रतिष्ठा को आकार देने के लिए आधारशिला के रूप में काम करता है। मोदी ने कहा, भूकंप के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है। वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को इस दिशा में काम करना चाहिए।
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मिशन मौसम
मोदी ने इस अवसर पर देश को प्रत्येक मौसम और जलवायु का सामना करने के लिए स्मार्ट राष्ट्र बनाने के मकसद से मिशन मौसम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हर तरह की जलवायु का सामना करने के लिए भारत एक स्मार्ट राष्ट्र बने, इसके लिए हमने मिशन मौसम शुरू किया है। ‘मिशन मौसम का लक्ष्य अत्याधुनिक मौसम निगरानी तकनीक और सिस्टम विकसित करके, उच्च-रिजॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन, अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रहों एवं उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटरों का इस्तेमाल करते हुए उच्चस्तरीय क्षमता को हासिल करना है।
भारत के पास मौसम विज्ञान का समृद्ध इतिहास
प्रधानमंत्री ने मौसम के तरीकों को समझने में विशेषज्ञता के भारत के समृद्ध इतिहास के बारे में बताने के लिए शास्त्रों और प्राचीन ग्रंथों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हमारे यहां वेदों, संहिताओं और सूर्य सिद्धांत जैसे ज्योतिषीय ग्रंथों में मौसम विज्ञान पर बहुत काम हुआ था। तमिलनाडु के संगम साहित्य और उत्तर में घाघ भड्डरी के लोक साहित्य में भी बहुत सी जानकारी है। उन्होंने कहा कि कृषि पाराशर, पाराशर रूचि और वृहत संहिता जैसे ग्रन्थों में बादलों के निर्माण और उनके प्रकार तक, उस पर गहरा अध्ययन मिलता है। प्रधानमंत्री ने ‘प्री-मॉडर्न कच्छी नैवीगेशन टेक्निक्स एंड वॉयेज पुस्तक का भी जिक्र किया जिसमें गुजरात के नाविकों के बारे में सदियों पुराने समुद्री ज्ञान के बारे में बताया गया है।
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भारत आपदा से प्रभावित पड़ोसी देशों को मदद करने वाला पहला राष्ट्र
मोदी ने कहा कि आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान जैसे-जैसे अधिक सटीक होंगे, विभिन्न क्षेत्रों, उद्योगों और यहां तक कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी उनका महत्व बढ़ेगा। मौसम विज्ञान प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण भारत की आपदा प्रबंधन क्षमताओं में काफी सुधार हुआ है, जो न केवल देश के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी फायदेमंद साबित हुई है। उन्होंने कहा, आज, हमारी बाढ़ मार्गदर्शन प्रणाली नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों को भी सूचनाएं दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत किसी भी आपदा से प्रभावित अपने पड़ोसी देशों को मदद की पेशकश करने वाला पहला राष्ट्र बनकर उभरा है।
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स्मारक सिक्का और आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज जारी
प्रधानमंत्री ने आईएमडी के 150वें स्थापना दिवस पर एक स्मारक सिक्का और मौसम संबंधी अनुकूलता और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया। इसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन की योजनाएं शामिल हैं। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में आईएमडी की उपलब्धियों पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने कहा, आज हम आईएमडी के 150 वर्ष का जश्न मना रहे हैं। यह केवल भारतीय मौसम विभाग की यात्रा नहीं है, यह हमारे भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भी यात्रा है। उन्होंने कहा कि आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है, बल्कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा का भी प्रतीक बना है। वैज्ञानिक संस्थाओं में शोध और नवोन्मेष नए भारत के मिजाज का हिस्सा है। इसीलिए, पिछले 10 वर्षों में आईएमडी की अवसंरचना और प्रौद्योगिकी का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ है।
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