दावा : अस्थमा मरीजों पर एक जैसी दवाएं असरदार नहीं
अमेरिका के एक अध्ययन में बताया गया है कि सभी अस्थमा मरीजों के लिए एक जैसे इलाज कारगर नहीं होते। मरीजों को उनके पर्यावरण जैसे धूल, धुआं और परागकण के अनुसार इलाज मिलना चाहिए। इसे 'पर्सनलाइज्ड...

वाशिंगटन, एजेंसी। सभी अस्थमा मरीजों के लिए एक जैसे इलाज या दवाएं कारगर नहीं होतीं। मरीजों को उनके आसपास के माहौल जैसे धूल, धुआं और परागकण आदि के हिसाब से इलाज मिलना चाहिए। अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज के अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोधकर्ता डॉ. स्तावरोस गरांट्जियोटिस के अनुसार, हर मरीज का इलाज उसकी पर्यावरणीय स्थिति और इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया के अनुसार तय किए जाने की जरूरत है। यानी जिसे घर की धूल से अस्थमा होता है, उसके इलाज का तरीका उस मरीज से अलग होगा, जिसे परागकण या धुएं से दिक्कत होती है।
विशेषज्ञ इसे ‘पर्सनलाइज्ड एनवायरनमेंटल मेडिसिन कह रहे हैं, जिसमें मरीज के रहने के माहौल और आदतों को ध्यान में रखकर इलाज तय किया जाता है। शोध में यह भी सामने आया कि इस पद्धति से दवाओं की जरूरत कम हो सकती है और मरीज की हालत बेहतर होती है। क्या है अस्थमा अस्थमा एक सांस की बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की सांस की नलियां (श्वसन मार्ग) सूज जाती हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, खांसी और सीटी जैसी आवाज होती है। यह बीमारी तब और बढ़ जाती है जब मरीज को धूल, धुआं, ठंडी हवा, परागकण या किसी खास गंध जैसी चीजों से एलर्जी होती है। कई बार तनाव, व्यायाम या मौसम बदलने पर भी अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। इन वजह से बढ़ती है दिक्कत -धूल और धुआं -परागकण -पालतू जानवरों के बाल -तेज गंध या परफ्यूम -मौसम में अचानक बदलाव -ठंडी हवा या अत्यधिक उमस -तनाव और मानसिक दबाव -वायरल संक्रमण जैसे जुकाम या फ्लू -कुछ लोगों में दूध, सूखे मेवे, सी फूड आदि से एलर्जी बचाव के आसान उपाय -घर में सफाई रखें, विशेषकर बिस्तर और पर्दों की। -धूल और धुएं से बचें, मास्क पहनें, खासकर बाहर निकलते समय। -सर्दी या मौसम बदलते वक्त विशेष ध्यान दें। -एलर्जी ट्रिगर्स से दूरी बनाए रखें, जैसे परफ्यूम, जानवर, परागकण आदि -इन्हेलर हमेशा साथ रखें या डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा -व्यायाम करें, लेकिन डॉक्टर से पूछकर। -फ्लू और अन्य वायरल बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीन लगवाएं। आंकड़े चिंताजनक 26 करोड़ लोग अस्थमा से ग्रस्त दुनियाभर में 4.5 लाख लोग अस्थमा से जुड़ी जटिलताओं से मरते हैं हर साल 03 करोड़ से ज्यादा अस्थमा मरीज हैं भारत में (स्रोत : विश्व स्वास्थ्य संगठन)
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