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शराब और तंबाकू के सेवन से बढ़ रहे पैंक्रियाटाइटिस के मरीज

- एम्स के विशेषज्ञों ने जागरूकता की कमी पर जताई चिंता नई दिल्ली, वरिष्ठ

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 06:06 PM
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नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। अगर आप शराब, तंबाकू का सेवन करते हैं तो आपको पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाश्यशोथ) होने की संभावना ज्यादा है। इसके अलावा पित्त की थैली में पथरी वाले लोगों को भी यह बीमारी होने की आशंका 50 फीसदी ज्यादा बढ़ जाती है। दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने लोगों में इसके प्रति जागरूकता की कमी पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि एक दशक पहले जहां शराब और तंबाकू के सेवन की वजह से पैंक्रियाटाइटिस के मरीजों की संख्या महज 10 से 15 फीसदी थी, वहीं अब यह संख्या 50 फीसदी तक पहुंच गई है। दिल्ली एम्स के प्रोफेसर और पाचन तंत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद गर्ग ने शुक्रवार को बताया कि पैंक्रियाटाइटिस के दो स्तर एक्यूट और क्रॉनिक होते हैं। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने पर मरीज को पेट में असहनीय दर्द होता है और बीमारी एकदम बढ़ती है। इसकी वजह से मरीज को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि 80 फीसदी मरीज इसी स्तर की बीमारी वाले होते हैं, जबकि 20 फीसदी मरीज क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित सामने आ रहे हैं। एक्यूट स्तर वाले मरीज महज 7 से 10 दिन में ठीक हो जाते हैं, जबकि क्रॉनिक स्तर वाले मरीजों को कई महीनों तक इलाज कराना पड़ सकता है।

डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि मरीज एक बार अगर ठीक हो जाए तो अल्कोहल, सिगरेट, तंबाकू बिल्कुल छोड़ दें, वरना गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसा न करने वाले लोगों में पैंक्रियाटाइटिस बार-बार हो सकता है। उन्होंने बताया कि अगर पित्त की थैली में पथरी की वजह से यह बीमारी हुई है तो पथरी का तत्काल इलाज कराएं। जरूरी हो तो ऑपरेशन कराकर पित्त की थैली को निकलवा लें। वरना बीमारी बार-बार हो सकती है।

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मधुमेह भी हो सकता है

पैंक्रियाटाइटिस ठीक होने के बाद मरीज को शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसकी निगरानी बहुत जरूरी है। स्वस्थ हो चुके लोग प्रत्येक छह महीने के अंतराल पर मधुमेह की जांच जरूर कराएं। मधुमेह हो जाए तो उसका इलाज तत्काल कराएं।

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चोट लगने पर हो सकती है यह बीमारी

डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि अक्सर बच्चे खेलते हुए या साइकलिंग करते हुए गिर जाते हैं। कई बार साइकिल का हैंडल या अन्य लोहे की वस्तु पेट में लग जाती है। अगर यह चोट पैंक्रियाज पर लग गई तो इसकी वजह से वह डैमेज हो सकता है और पैंक्रियाटाइटिस हो सकता है। बच्चों में यह बीमारी होने के ज्यादातर कारण ऐसे ही होते हैं। ऐसे में उन्हें खेलते वक्त सावधानी बरतनी जरूरी है।

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