चीनी ड्रोन को पकड़ेंगे भारत के हल्के रडार : सेना
हथियार और ड्रग्स तस्करी के लिए चीनी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा पाकिस्तान इससे
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हथियार और ड्रग्स तस्करी के लिए चीनी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा पाकिस्तान इससे निपटने को भारतीय सेना सीमा पर लो-लेवल लाइटवेट रडार तैनात करेगी
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के लिए पाकिस्तान चीनी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। डीजेआई एक चीनी फर्म है, जिसके ड्रोन का इस्तेमाल दुनिया भर में नागरिक और सैन्य संगठनों द्वारा व्यापक रूप से किया जाता है। भारतीय सेना डीजेआई माविक जैसे छोटे ड्रोन का पता लगाने में सक्षम लो-लेवल लाइटवेट रडार सीमा पर तैनात करेगी। भारतीय सेना के आर्मी एयर डिफेंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान ने यह जानकारी दी।
सुमेर इवान डीकुन्हा ने एक बातचीत में कहा कि सेना कम-स्तरीय हल्के रडार हासिल कर उन्हें तैनात करने की प्रक्रिया में है। पहली बात यह है कि डीजेआई माविक जैसे सबसे छोटे ड्रोन का पता लगाने की क्षमता को देखना है। हमें एक निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है, जिसके लिए हम लो-लेवल लाइटवेट रडार (एलएलएलआर) जैसे रडार खरीदने की प्रक्रिया में हैं।
सुमेर इवान ने कहा, हमने आपातकालीन खरीद के हिस्से के रूप में एलआर रडार खरीदे थे। जो ग्रेनेड के बिना माविक ड्रोन को पकड़ने में सक्षम है और निश्चित रूप से ग्रेनेड के साथ भी पकड़ सकता है। इस आकार से छोटे ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा सकता है, लेकिन वे हथियार नहीं ले जा सकते। इसलिए, हम इन रडार का घनत्व बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। पहाड़ों और घाटियों के लिए अधिक घनत्व की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना दुश्मन के ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए ड्रोन-आधारित रॉकेट हासिल करने पर भी विचार कर रही है। हम ड्रोन पर ड्रोन या रॉकेट पर ड्रोन के साथ ड्रोन किल सिस्टम पर भी विचार कर रहे हैं। हम 64 रॉकेट के साथ ट्रक-माउंटेड काउंटर-ड्रोन सिस्टम पर भी विचार कर रहे हैं।
220 तोपों की निविदा जारी :
वायु रक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 220 वायु रक्षा तोपों के लिए निविदा पहले ही जारी हो चुकी है और इस वर्ष जुलाई में परीक्षण की योजना है। इन तोपों का उपयोग विंटेज एल-70 और जेडयू-23 मिमी तोप प्रणालियों को बदलने के लिए किया जाएगा। कंधे से दागे जाने वाले और तिपाई पर आधारित बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणालियों के बारे में उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने कुछ परीक्षण फायरिंग की हैं। लेकिन अंतिम संस्करण देने में अभी भी कुछ समय लगेगा।
कम रेंज वाली मिसाइल की तलाश जारी :
सुमेर इवान ने कहा, सेना विखंडन गोला-बारूद वाली तोपों और 8-10 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों की भी तलाश कर रही है। क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) सिस्टम के बारे में उन्होंने कहा कि यह डीआरडीओ की एक बहुत अच्छी परियोजना है जिसकी संभावित रेंज 30 किलोमीटर है। उन्होंने कहा, हम बड़ी संख्या में पहिएदार और ट्रैक वाली मिसाइलें प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं। अनुबंध 4-5 महीने में होने की संभावना है।
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