ओआरओपी: पूर्व सैनिकों ने मांगों के लिए खून से किए दस्तखत
जंतर मंतर पर गुरुवार 15 जून से दो साल पूरे होने पर ओआरओपी(वन रैंक वन पेंशन) से जुड़े आंदोलनकारियों ने मांगपत्र पर अपने खून से दस्तखत किए। दो साल पूरे होने पर देश के 14 प्रांतों से पूर्व सैनिकों ने...
जंतर मंतर पर गुरुवार 15 जून से दो साल पूरे होने पर ओआरओपी(वन रैंक वन पेंशन) से जुड़े आंदोलनकारियों ने मांगपत्र पर अपने खून से दस्तखत किए। दो साल पूरे होने पर देश के 14 प्रांतों से पूर्व सैनिकों ने आंदोलन में हिस्सा लिया। देर शाम पांच सदस्यीय दल ओआरओपी की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय गया, यहां प्रधानमंत्री के न मिलने पर वे सभी वापस लौट आए। इस मौके पर पूर्व मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि देश का जवान और किसान दोनों अपने हक की लड़ाई में साथ-साथ आ चुके हैं। हम संवैधानिक तरीके से बीते दो साल से धरने पर हैं, मगर आज तक हमारी देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं हुई। शाम तकरीबन चार बजे एक पांच सदस्यीय दल ज्ञापन लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा। दल में शामिल दो बार वीर चक्र से सम्मानित पूर्व विंग कमांडर विनोद नेब ने कहा कि पूर्व सैनिक इतने लंबे समय से ओआरओपी की मांग कर रहे हैं। हम फौजियों की सांसों से इस देश का तिरंगा लहराता है। ओआरओपी सैनिकों का हक है। सरकार को हमारी मांगों पर विचार करना चाहिए। पूर्व सैनिकों के दल के साथ गईं सैनिक पत्नी सुदेश गोयत ने कहा कि हम प्रधानमंत्री कार्यालय से बिना उनसे मुलाकात किए वापस लौट आए। उन्हें पूर्व सैनिकों की तरफ से तकरीबन 50 पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा। मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि देश के प्रधानमंत्री दुश्मन देश के प्रधानमंत्री से मिल सकते हैं लेकिन अपने ही देश के पूर्व सैनिकों से नहीं मिल रहे। सतबीर सिंह ने कहा कि आज इस आंदोलन के दो साल पूरे हुए हैं। जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती, यह आंदोलन जारी रहेगा। अब हम इसे देशव्यापी आंदोलन बनाने की रूपरेखा पर विचार कर रहे हैं। हमें देश के युवाओं ही नहीं बल्कि किसानों, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों हर किसी का सहयोग मिल रहा है।
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