राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष का हंगामा, कामकाज ठप
नई दिल्ली में राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर हंगामे के कारण स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नारेबाजी की। सत्तारूढ़ पक्ष ने विपक्ष...
- विपक्ष पर सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया - विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए सरकार पर प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। लोकसभा की भांति राज्यसभा में भी गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके चलते सोमवार को भी राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चल सकती। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अलग-अलग मुद्दों पर भारी हंगामा किया, जिसके चलते उच्च सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न करीब 3:10 बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सत्तारूढ़ एनडीए के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया। साथ ही इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की लेकिन सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्ष के कुछ सदस्य सीट से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे। सदन में हंगामा जारी रहने के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके कक्ष में सदन के नेता जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ उनकी बैठक हुई। इस दौरान कई अन्य वरिष्ठ सदस्य भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अब मंगलवार को सुबह उनके कक्ष में इन नेताओं की एक और बैठक होगी। इस दौरान सभापति ने सदस्यों से आत्मचिंतन करने का आह्वान करते हुए सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। हालांकि, सदन में शोर-शराबा जारी रहा और सभापति ने अपराह्न करीब 03:10 बजे कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सुबह सदन में सूचीबद्ध सभी कार्यों को नियम 267 के तहत स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग संबंधी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया। भाजपा के लक्ष्मीकांत बाजपेयी को शून्यकाल में बोलने का मौका दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना शुरू किया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब सभापति ने नियम 267 के तहत नोटिस खारिज कर दिए हैं तो उसमें दर्ज मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, बहुत गलत हो रहा है। आप सभापति हैं। आप सदन के रक्षक हैं। कृपया आप पक्षकार मत बनिए। इस दौरान आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने सदन चलने देने का आग्रह करते हुए कहा कि पिछले दिनों नेता सदन ने प्रस्ताव दिया था कि किसी भी सूरत में शून्यकाल और प्रश्नकाल बाधित नहीं होना चाहिए और इस पर सभी ने सहमति भी जताई।
खरगे बोले-सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा:
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, बहुत देर से मैंने अपना हाथ उठाया हुआ था। जब सदन के नेता ने कुछ बात कही और मैं उससे सहमत नहीं था, इसलिए मैंने अंगुली उठाकर आपका ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की। लेकिन आपने मुझे मौका नहीं दिया। आपने मंत्री को बुला लिया। यह अच्छा नहीं है।
धनखड़ का जवाब, मुझ पर आरोप न लगाएं :
इस पर धनखड़ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को उनके ऊपर आरोप लगाने की बजाय अपनी बात रखनी चाहिए। आप हर बार कहते हो कि मैं मंत्री का पक्ष लेता हूं...नेता सदन का पक्ष लेता हूं। आपके श्रीमुख से शोभा नहीं देता। आप मुद्दे पर बोलिए। मुझे आरोपित क्यों कर रहे हैं।
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