दिल-दिमाग पर शोर का खामोश हमला
लंदन स्थित सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया है कि शोर केवल कानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल, दिमाग और नींद पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। शोर से दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप और डिमेंशिया...

लंदन, एजेंसी। शोर सिर्फ कानों तक सीमित नहीं है। यह दिल और दिमाग पर खामोश हमला करता है। यह दिल का दौरा, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है। लंबे समय तक शोर झेलने से डिमेंशिया और डिप्रेशन भी हो सकता है। लंदन स्थित सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी के शोध में यह खुलासा हुआ है।
शोध के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण का खतरनाक प्रभाव सिर्फ जागते समय ही नहीं, बल्कि नींद में भी शरीर को प्रभावित करता है। तेज आवाजों से हमारे शरीर की ‘किसी खतरे या तनावपूर्ण स्थिति का सामना करने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे तनाव हार्मोन रिलीज होते हैं, जो लंबे समय तक शरीर में बने रहने से गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हमारा दिमाग सोते समय भी शोर सुनता रहता है, जिससे हृदय गति बढ़ जाती है और शरीर तनाव की अवस्था में बना रहता है। यह लंबे समय तक जारी रहने पर दिल और दिमाग की कार्यप्रणाली को कमजोर कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शोर से बचने के लिए व्यक्तिगत और प्रशासनिक स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि दिल और दिमाग पर इसका खामोश हमला रोका जा सके।
ट्रैफिक शोर सबसे घातक
शहरों में बढ़ते ट्रैफिक, ट्रेन और हवाई जहाज की आवाजें प्रमुख कारणों में से एक हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि 53 डेसिबल से अधिक आवाज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। यूरोप में हर साल करीब 12,000 लोगों की असमय मृत्यु का कारण शोर को माना जाता है। शहरों में ‘सुपरब्लॉक जैसे प्रयोग किए जा रहे हैं, जहां पैदल चलने वालों के लिए विशेष क्षेत्र बनाए गए हैं ताकि शोर कम किया जा सके।
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