हैसिंडा प्रोजेक्ट से 192 करोड़ बकाया वसूलने के लिए ईडी को पत्र लिखा
नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिन्दर सिंह को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वह नहीं पहुंचे। हैसिंडा प्रोजेक्ट पर प्राधिकरण का 192 करोड़ रुपये बकाया है। आरोप है कि मोहिन्दर सिंह की मिलीभगत से...
नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिन्दर सिंह को पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे हैसिंडा प्रापर्टीज के संचालकों ने निवेशकों के साथ नोएडा प्राधिकरण को भी ठगा
नोएडा, विशेष संवाददाता। हैसिंडा प्रोजेक्ट पर नोएडा प्राधिकरण के करीब 192 करोड़ रुपये बकाया हैं। नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की ओर से गुरुवार को इस रकम की वसूली के लिए ईडी को पत्र लिखा गया। हैसिंडा प्रोजेक्ट कंपनी की लोटस-300 परियोजना में अरबों रुपये की धोखाधड़ी मामले में ईडी ने पूर्व आईएएस अधिकारी और नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिन्दर सिंह को बुधवार को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे।
प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने ईडी के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के उपनिदेशक को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि प्राधिकरण ने हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर-107 में भूखंड संख्या जीएच-1ए बीटा-1 आवंटित किया था। इस प्रोजेक्ट पर नोएडा प्राधिकरण का 191.93 करोड़ बकाया है। सीईओ ने यह बकाया रकम जमा कराने का आग्रह किया है। मामले में ईडी की ओर से आरोपियों की संपत्ति भी जब्त की जा रही है। इस कारण इस बकाये की वसूली करने के प्रयासों में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी जुट गए हैं।
नोएडा प्राधिकरण को भी ठगा: नोएडा में लोटस-300 प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली हैसिंडा प्रापर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों ने निवेशकों के साथ नोएडा प्राधिकरण को भी ठगा। प्राधिकरण ने 31 मार्च 2010 को हैसिंडा कंपनी को सेक्टर-107 में 67 हजार 241 वर्ग मीटर भूमि देने का अनुबंध किया। हैसिंडा प्रोजेक्ट के नेतृत्व वाली छह कंपनियों के कंसोर्टियम ने इसे खरीदा था। लीज डीड होने के दौरान निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विदुर भारद्वाज कंपनी के निदेशक एवं प्रोमोटर थे।
कंपनी ने आगामी 10 वर्षों में लीज डीड की रकम का भुगतान किस्तों में किया। कंपनी द्वारा 25 मार्च 2020 को 27.69 करोड़ रुपये का अंतिम भुगतान किया गया। कंपनी के संचालकों ने लीज डीड होने के दो साल बाद फर्जीवाड़ा करते हुए कुल भूमि में से 27 हजार 942 वर्ग मीटर का हिस्सा किसी अन्य कंपनी को 236 करोड़ रुपये में बेच दिया। आरोप है कि इस खरीद-फरोख्त को प्राधिकरण के अफसरों ने मंजूरी दी थी। हालांकि, प्राधिकरण को इस भूमि की कीमत, प्रीमियम और लीज रेंट के एवज में मामूली रकम ही दी गई। कंपनी ने नोटिस का जवाब देना भी बंद कर दिया।
पूर्व आईएएस मोहिन्दर सिंह की मिलीभगत :
प्राधिकरण ने जून 2020 में दिए शपथ पत्र में अदालत को बताया था कि हैसिंडा के संचालकों को 107.46 करोड़ रुपये की देनदारी चुकाने का नोटिस दिया था। ईडी के अधिकारियों को जांच में पता चला कि पूर्व आईएएस मोहिन्दर सिंह की मिलीभगत से हैसिंडा के निदेशकों ने अपने प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले लोगों के साथ 426 करोड़ रुपये का गबन किया। इसमें गुप्ता बंधु, सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह भी शामिल हैं। आरोप है कि मोहिन्दर सिंह, गुप्ता बंधु समेत अन्य ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये हीरे, सोने के आभूषण और निजी संपत्तियों में निवेश किया। ईडी ने खुलासा किया कि आदित्य गुप्ता के घर से 25 करोड़ के हीरे और सोने के आभूषण मिले हैं, जबकि मोहिन्दर सिंह के घर 7.1 करोड़ रुपये के हीरे बरामद हुए। गबन की रकम से मेरठ में जमीन खरीदने का भी आरोप है।
ईओडब्लयू में 10 मुकदमे दर्ज :
हैसिंडा के फर्जीवाड़े के बाद निवेशकों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ईओडब्लयू में 10 मुकदमे दर्ज कराए थे। ये सभी केस वर्ष 2017 से 2020 तक दर्ज कराए गए। निवेशकों ने कंपनी द्वारा फर्जीवाड़ा करते हुए उनके फ्लैट के क्षेत्रफल को कम करने तथा सार्वजनिक उपयोग की भूमि को दूसरे बिल्डर को बेचने का आरोप लगाया था। वहीं, कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
जमानत के लिए झूठे वादे किए :
हैसिंडा के कुछ प्रमोटरों को 30 नवंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद प्रमोटरों ने जमानत के लिए निवेशकों के साथ एक समझौता किया, जिसमें कंपनी के खाते में 60 करोड़ रुपये भेजने और नौ माह में प्रोजेक्ट पूरा करने के साथ नोएडा प्राधिकरण का बकाया चुकाने का भरोसा दिलाया था। हालांकि, जमानत मिलने के बाद उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया। इस तरह कंपनी प्रमोटरों ने जमानत के लिए कोर्ट को भी धोखा दिया।
प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों को लेकर भी जांच चल रही :
हैसिंडा की लोटस 300 परियोजना में हेराफेरी को लेकर जांच कर रही ईडी की जांच के दायरे में नोएडा प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी आ सकते हैं। प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन एवं सीईओ रहे मोहिन्दर सिंह के जरिए ईडी संबंधित अधिकारियों तक पहुंच सकती है। 12 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी भी की जा रही। परियोजना में 330 फ्लैट बनाने के लिए निवेशकों से 636 करोड़ रुपये जुटाए थे। परियोजना में लोगों को फ्लैट देने के बजाए इसकी जमीन का कुछ हिस्सा अन्य बिल्डर को बेच दिया। निवेशकों से लिए पैसे दूसरी जगह लगा दिए गए।
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