एनजीटी ने फार्मा इकाई पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया
पंजाब की नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड से जुड़ा है यह मामला कृषि क्षेत्रों एनजीटी ने फार्मा इकाई पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया
पंजाब की नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड से जुड़ा है यह मामला कृषि क्षेत्रों में अत्यधिक प्रदूषित रासायनिक अपशिष्ट छोड़ने का आरोप
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब की एक फार्मा इकाई पर ‘पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन के लिए 5 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगाया है। यह मामला साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले के हैबतपुर गांव में स्थित नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड से जुड़ा है।
एनजीटी ने पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीएसपीसीबी) के अपने वैधानिक कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में विफल रहने के लिए उसके आचरण की निंदा की। साथ ही एनजीटी ने बोर्ड को थोक दवा निर्माण इकाई के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने और अंतिम मुआवजा राशि निर्धारित करने का निर्देश दिया।
शिकायत के अनुसार, नेक्टर लाइफ साइंसेज लिमिटेड कथित तौर पर कृषि क्षेत्रों में अत्यधिक प्रदूषित रासायनिक अपशिष्ट छोड़ रहा है, जिससे फसलों और भूमि को नुकसान हो रहा है।
गुरुवार को पारित आदेश में, एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, पूरे रिकॉर्ड पर विचार करते हुए हमारा स्पष्ट मानना है कि उद्योग पर्यावरण कानूनों, विशेष रूप से जल अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है और लगातार इसके प्रावधानों का उल्लंघन करता रहा है। जबकि इसका शून्य तरल निर्वहन (जेडएलडी) का दर्जा आज तक हासिल नहीं हुआ है।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि पीएसपीसीबी अपने वैधानिक कार्यों को पर्याप्त और प्रभावी ढंग से पूरा करने में विफल रहा है। पीठ ने कहा कि पीएसपीसीबी ने पर्याप्त पर्यावरणीय मुआवजा लगाकर सख्त कार्रवाई नहीं की, न ही उल्लंघनकर्ता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आपराधिक कार्रवाई शुरू की।
न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि उसके समक्ष प्रस्तुत रिपोर्टों में केवल पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण के स्तर का आकलन करने के लिए इकाई द्वारा छोड़े गए अपशिष्ट की जांच की गई थी। इकाई मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स बनाती थी और सेफलोस्पोरिन एंटीबायोटिक्स जैसे एंटीबायोटिक्स युक्त अपशिष्ट जल अत्यधिक जहरीला हो सकता है और उसे नष्ट करना मुश्किल हो सकता है।
न्यायाधिकरण ने कहा, इसलिए यह आवश्यक है कि औद्योगिक इकाई द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट जल की जांच की जाए, ताकि यह देखा जा सके कि उपचारित जल में उपरोक्त एंटीबायोटिक दवा के अवशेष हैं या नहीं।
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