अब भारत का पानी देश के हक में बहेगा: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब भारत का पानी देश में ही रहेगा और इसे बाहर नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने नदियों को जोड़ने की योजना का जिक्र किया और कहा कि इससे किसानों को लाभ होगा। मोदी ने...

या, भारत का पानी अब देश के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: मोदी नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि अब भारत का पानी देश में ही रहेगा, जो पहले बाहर जा रहा था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने नदियों को जोड़ने का काम शुरू किया है। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने के स्पष्ट संदर्भ में पाकिस्तान पर केंद्रित थी। नरेंद्र मोदी ने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा कि इस बदलते भारत का सबसे बड़ा सपना है, 2047 तक विकसित भारत। देश के पास सामर्थ्य है, संसाधन हैं और इच्छाशक्ति भी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दशकों तक हमारी नदियों के पानी को तनाव और झगड़े का विषय बनाकर रखा गया, लेकिन हमारी सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर नदियों को जोड़ने का एक महाअभियान शुरू किया है। केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना से लाखों किसानों को फायदा होगा। मोदी ने कहा, वैसे आजकल तो मीडिया में पानी को लेकर काफी चर्चा चल रही है। पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था, अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा। भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा। हालांकि, मोदी ने पाकिस्तान का कोई सीधा संदर्भ नहीं दिया या आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव पर कोई अन्य टिप्पणी नहीं की। मोदी ने देश की युवा शक्ति और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी को ‘बदलते भारत का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि यह उपस्थिति अपने आप में अनोखी है और यह दर्शाती है कि भारत अब हर क्षेत्र में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। नए वक्फ कानून का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इस कानून में सुधार की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही थी, लेकिन वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए इस नेक काम को भी बदनाम कर दिया गया। उन्होंने कहा, अब संशोधन किए गए हैं जो वास्तविक अर्थों में गरीब मुस्लिम माताओं और बहनों तथा गरीब पसमांदा मुसलमानों की मदद करेंगे। मोदी ने कहा कि भारत ने उन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है, जहां वह पारंपरिक रूप से मजबूत नहीं था। प्रधानमंत्री ने भारत के बढ़ते रक्षा निर्यात के बारे में बात की, जिसमें 100 से अधिक देशों को रक्षा उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है और यह इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है। -- राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाए। एक समय था, जब फैसले लेने से पहले इस बात की चिंता की जाती थी कि दुनिया क्या कहेगी या वोटबैंक पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, भांति-भांति के स्वार्थों के कारण बड़े फैसले और रिफॉर्म्स टलते रहते थे, लेकिन बीते एक दशक में भारत ने ‘राष्ट्र प्रथम की नीति को अपनाया है और आज हम इसके सकारात्मक परिणाम देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जब लोग देश को देखते हैं, तो वे गर्व से कह सकते हैं कि लोकतंत्र में परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर सकल जन सशक्तीकरण (जीईपी) पर आधारित प्रगति की ओर बढ़ रही है।
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