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आज का भारत प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में भारत का सैन्य सामर्थ्य अधिक सक्षम और आधुनिक होना चाहिए, लेकिन इसका उद्देश्य विस्तारवाद नहीं बल्कि विकासवाद है। उन्होंने तीन स्वदेशी युद्धपोतों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 15 Jan 2025 07:31 PM
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या, सैन्य सामर्थ्य बढ़ाने के पीछे मकसद विकासवाद: मोदी

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भारत विस्तारवाद नहीं, विकासवाद की भावना से काम करता है : मोदी

- प्रधानमंत्री ने अगली पंक्ति के स्वदेशी नौसैनिक जहाजों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया

- आज भारत पूरे विश्व और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा

मुंबई, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि 21वीं सदी के भारत का सैन्य सामर्थ्य अधिक सक्षम और आधुनिक होना उसकी प्राथमिकताओं में से एक है। हालांकि, इसका मकसद विस्तारवाद नहीं बल्कि विकासवाद की भावना है। उन्होंने कहा कि आज का भारत दुनिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है।

मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के तीन अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया। मोदी ने आज के दिन को भारत की समुद्री विरासत, नौसेना के गौरवशाली इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए बहुत बड़ा दिन करार देते हुए कहा, यह पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर (विध्वंसक), एक फ्रिगेट और एक पनडुब्बी को एक साथ नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा रहा है। गर्व की बात है कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं। फ्रिगेट, युद्ध के लिए इस्तेमाल होने वाले जहाज होते हैं। तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है।

हर जगह भारत अपने हितों को सु​रक्षित कर रहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने नौसेना को नया सामर्थ्य और दृष्टिकोण दिया था। आज उनकी इस पावन धरती पर 21वीं सदी की नौसेना को सशक्त करने की तरफ एक बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा, 21वीं सदी के भारत का सैन्य सामर्थ्य भी अधिक सक्षम और आधुनिक हो, यह देश की प्राथमिकताओं में से एक है। जल हो, थल हो, नभ हो, गहरे समुद्र हों या फिर असीम अंतरिक्ष हो, हर जगह भारत अपने हितों को सु​रक्षित कर रहा है। इस​के लिए निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, आज भारत पूरे विश्व और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है। भारत विस्तारवाद नहीं, बल्कि विकासवाद की भावना से काम करता है। मालूम हो कि ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

दुनियाभर में भारत के प्रति भरोसा बढ़ा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में पहले उत्तरदाता के रूप में उभरा है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना ने हजारों लोगों की जान बचाई है। लाखों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्गो को सुरक्षित किया है। उन्होंने कहा, इससे दुनियाभर में भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। मोदी ने कहा कि जब समुद्र से सटे देशों के विकास की बात आई तो भारत ने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास यानी सागर का मंत्र दिया। भारत को जी20 की अध्यक्षता संभालने का दायित्व मिला तो दुनिया को ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का मंत्र दिया। जब दुनिया कोरोना से लड़ते हुए पस्त पड़ रही थी तब भारत ने ‘वन अर्थ, वन हेल्थ का दृष्टिकोण दिया। उन्होंने कहा, हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानकर चलते हैं, हम सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर विश्वास करने वाले लोग हैं।

स्वदेशी साजो-समान से सैनिकों का आत्मविश्वास भी बढ़ा

मोदी ने कहा, पिछले 10 साल में जिस तरह भारत की तीनों सेनाओं ने आत्मनिर्भरता के मंत्र को अपनाया है, वह बहुत ही सराहनीय है। हमारी सेनाओं ने पांच हजार से ज्यादा ऐसे साजो-सामान और उपकरणों की सूची तैयार की है, जो अब वह विदेशों से नहीं मंगाएगी। जब भारत का सैनिक, भारत में बने साजो-सामान के साथ आगे बढ़ता है, तो उसका आत्मविश्वास भी कुछ अलग ही होता है। उन्होंने कहा, भारत एक बड़ी नौवहन शक्ति बन रहा है। उसे एक विश्वसनीय और जिम्मेदार साझेदार के रूप में पहचाना जा रहा है।

भविष्य की किसी भी संभावना पर काम करने में पीछे नहीं

मोदी ने कहा, पिछले 10 वर्षों में 33 जहाज और सात पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की गई हैं। भारत का रक्षा उत्पादन 1.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात किए गए हैं। भविष्य में असीम अंतरिक्ष और गहरे समुद्र के महत्व को बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत दोनों जगह अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, हमारी समुद्रयान परियोजना वैज्ञानिकों को समंदर में 6,000 मीटर की उस गहराई तक ले जाने वाली है, जहां कुछ ही देश पहुंच पाए हैं। यानी भविष्य की किसी भी संभावना पर काम करने में हमारी सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।

आईएनएस नीलगिरि

आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का शीर्ष जहाज है। भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किए गए और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित आईएनएस नीलगिरि में उन्नत विशेषताएं हैं। यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से परिपूर्ण है तथा एमएच-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है।

आईएनएस सूरत

परियोजना 15 बी स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढ़ी का सदस्य है। इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं। यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है। इसे भी आईएनएस नीलगिरि की तरह वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और एमडीएल में इसका विनिर्माण किया गया है।

आईएनएस वाघशीर

आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है। यह कई भूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है।

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