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अब भारत का पानी देश के हक में बहेगा: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अब भारत का पानी देश में ही रहेगा। उन्होंने नदियों को जोड़ने का कार्य शुरू किया है, जिससे किसानों को लाभ होगा। मोदी ने भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की भी घोषणा...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 6 May 2025 10:10 PM
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अब भारत का पानी देश के हक में बहेगा: मोदी

या, भारत का पानी अब देश के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: मोदी नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि अब भारत का पानी देश में ही रहेगा, जो पहले बाहर जा रहा था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने नदियों को जोड़ने का काम शुरू किया है। नरेंद्र मोदी ने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा कि इस बदलते भारत का सबसे बड़ा सपना है, 2047 तक विकसित भारत। देश के पास सामर्थ्य है, संसाधन हैं और इच्छाशक्ति भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दशकों तक हमारी नदियों के पानी को तनाव और झगड़े का विषय बनाकर रखा गया, लेकिन हमारी सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर नदियों को जोड़ने का एक महाअभियान शुरू किया है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना से लाखों किसानों को फायदा होगा। मोदी ने कहा, वैसे आजकल तो मीडिया में पानी को लेकर काफी चर्चा चल रही है। पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था, अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा। भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा। उन्होंने देश की युवा शक्ति और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी को ‘बदलते भारत का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि यह उपस्थिति अपने आप में अनोखी है और यह दर्शाती है कि भारत अब हर क्षेत्र में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। इस दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने एक और ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने बताया कि कुछ देर पहले उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से बातचीत की और भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा, विश्व की दो बड़ी और ओपन मार्केट इकोनॉमी के बीच यह समझौता दोनों देशों के विकास में नया अध्याय जोड़ेगा। यह व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा और रोजगार, निवेश और नवाचार के क्षेत्र में भी नए अवसर पैदा करेगा। राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाए। एक समय था, जब फैसले लेने से पहले इस बात की चिंता की जाती थी कि दुनिया क्या कहेगी या वोटबैंक पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, भांति-भांति के स्वार्थों के कारण बड़े फैसले और रिफॉर्म्स टलते रहते थे, लेकिन बीते एक दशक में भारत ने ‘राष्ट्र प्रथम की नीति को अपनाया है और आज हम इसके सकारात्मक परिणाम देख रहे हैं। मोदी ने कहा कि हम जीडीपी केंद्रित दृष्टिकोण से सकल जन सशक्तीकरण (जीईपी) आधारित प्रगति की दिशा में बढ़ रहे हैं।

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