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एचटी लीडरशिप समिट 2024 : हिन्दुस्तान टाइम्स सौ साल के इतिहास को जनता के बीच लेकर जाए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एचटी लीडरशिप समिट-2024 में हिन्दुस्तान टाइम्स के 100 साल पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया। उन्होंने एचटी की प्रदर्शनी को सराहा और नई पीढ़ी के लिए इतिहास को स्कूलों...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 16 Nov 2024 07:29 PM
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मोदी : एचटी लीडरशिप समिट 2024 : हिन्दुस्तान टाइम्स सौ साल के इतिहास को जनता के बीच लेकर जाए - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एचटी की 100 साल की यात्रा की प्रदर्शनी को सराहा, कहा-इतिहास आंखों के सामने से गुजर गया

- हिन्दुस्तान टाइम्स के सौ साल पर जारी किया स्मारक डाक टिकट और आवरण

- एचडी सौ साल के इतिहास को देश के स्कूलों तक पहुंचाए और नई पीढ़ी को अनुसंधान के लिए आगे लाए

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एचटी लीडरशिप समिट-2024 के उद्घाटन सत्र में हिन्दुस्तान टाइम्स के इतिहास को याद किया और उसे सराहा। वह इस मौके पर लगाई गई एचटी की सौ साल की यात्रा की प्रदर्शनी से अभिभूत भी रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने एचटी के सौ साल पर स्मारक डाट टिकट तथा आवरण जारी किया। उन्होंने भविष्य के लिए एचटी को नया टास्क भी दिया और कहा कि वह इस सौ साल के इतिहास को देश के स्कूलों तक पहुंचाए और नई पीढ़ी को अनुसंधान के लिए आगे लाए।

बापू और मोदी दोनों गुजराती

प्रधानमंत्री ने उद्घाटन भाषण में अपने को गौरवान्वित महसूस करते हुए सहज भाव से कहा कि 100 साल पहले जब हिन्दुस्तान टाइम्स का उद्घाटन पूज्य बापू ने किया था। वह भी गुजराती भाषी थे और आज 100 साल पूरे होने पर एक दूसरे गुजराती को आपने बुला लिया। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए वे हिन्दुस्तान टाइम्स और 100 साल की उसकी यात्रा से जो जुड़े उसे खाद-पानी देने का काम किया, संघर्ष किया, संकट झेले लेकिन टिके रहे वे सब बधाई के पात्र हैं, अभिनंदन के अधिकारी हैं।

अद्भुत और अभूतपूर्व यात्रा

मोदी ने कहा कि 100 साल की यात्रा बड़ी होती है। अभी उन्होंने इस बारे में एक प्रदर्शनी देखी। यह एक अनुभव है। ऐसा लगा कि 100 साल का इतिहास आंखों के सामने से गुजर गया। देश की आजादी और संविधान लागू होने के दिन छपे हुए थे। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, एमएस स्वामीनाथन जैसे एक से एक दिग्गज महानुभाव और नेताओं के लेख इसमें शामिल थे। वाकई हम बहुत लंबी यात्रा कर यहां तक पहुंचे हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने से लेकर आशाओं के अथाह समुद्र पर सवार होकर आगे बढ़े हैं। यह यात्रा अभूतपूर्व है, अद्भुत है।

असम को अशांत घोषित करने व भाजपा की नींव की खबर एक साथ

प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्तूबर 1947 में कश्मीर के विलय के बाद हर देशवासी में जो जोश था वह अखबार में महसूस किया गया। हालांकि, अनिर्णय की स्थिति में सात दशक तक कश्मीर को हिंसा ने घेर रखा, लेकिन आज कश्मीर में रिकॉर्ड वोटिंग हुई है, ये खबरें भी छपी हैं। उन्होंने कहा कि अखबार पर आपकी नजर जाएगी तो एक तरफ असम को अशांत क्षेत्र घोषित करने की खबर थी तो दूसरी तरफ अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भाजपा की नींव रखने की खबर भी थी। कितना सुखद संयोग है कि आज भाजपा ही असम में स्थायी शांति लाने जा रही है।

भारत के नागरिक में हालात बदलने का बड़ा सामर्थ्य

मोदी ने कहा कि हिन्दुस्तान टाइम्स ने 100 साल में 25 साल गुलामी और 75 साल आजादी के देखे हैं। इन 75 साल में भारत के सामान्य नागरिक के सामर्थ्य को देखा है। इसे पहचानने में बड़े-बड़े लोगों से गलती हुई है। अंग्रेज गए तो लोग कहने लगे देश बिखर जाएगा, आपातकाल लगा तो लोगों ने कहा अब देश से आपातकाल हटेगा नहीं। भारत के नागरिक ने हमेशा हालात बदले हैं। कोरोना के समय भी यही हुआ, भारत ने मजबूत लड़ाई लड़के दुनिया को दिखा दिया। 90 के दशक में 10 साल में पांच चुनाव हुए। अस्थिरता थी, लोग कहने लगे अब भारत ऐसा ही चलेगा, लेकिन भारत के नागरिकों ने ऐसी जानकारी को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने जो काम शुरू किया है वह विकास की रफ्तार बरकरार रहेगी और बहुत जल्द भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।

जब एचटी लिखेगा विकसित भारत का शानदार अखबार

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब आजादी की शताब्दी मनाएगा तब हिन्दुस्तान टाइम्स लिखेगा यह विकसित भारत का यह शानदार अखबार है। उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स की सराहना के साथ उसे नया टास्क भी दिया। उन्होंने कहा कि कोई हिन्दुस्तान टाइम्स के 100 साल पर पीएचडी करे। यह बहुत बड़ी सेवा हो सकती है। देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में एचटी चेयर हों, जो रिसर्च का काम करवाती हो। 100 साल में जो इज्जत, विश्वास कमाया वह एचटी के दायरे से बाहर निकल कर नई पीढ़ी के लिए भी लाभदायक होगा। प्रदर्शनी से प्रभावित प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका डिजिटल वर्जन डॉक्यूमेंट्री के जरिये स्कूलों में देश के बच्चों तक पहुंचाया जाना चाहिए।

खुद आना चाहते थे

मोदी ने यह खुलासा भी किया कि वह खुद इस कार्यक्रम के लिए आना चाहते थे। इसे छोड़कर जाना नहीं चाहते थे, हालांकि उनके पास काम बहुत था लेकिन 100 साल की यात्रा बहुत बड़ी होती है।

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