महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में बरी हुआ सैन्य अधिकारी
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नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। कड़कड़डूमा अदालत ने शादी का झांसा देकर एक महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी एक सैन्य अधिकारी को बरी कर दिया। सैन्य अधिकारी पर महिला को दो बार गर्भपात के लिए मजबूर करने का भी आरोप था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गजेंद्र सिंह नागर की अदालत ने कहा कि इस तरह के वादे को लंबे समय एवं अनिश्चितकाल तक यौन संबंध बनाने के लिए प्रलोभन नहीं माना जा सकता।
अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों ने माना है कि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रलोभन देना और पीड़िता का प्रलोभन का शिकार होना, उस समय के संदर्भ में समझ में आने वाली बात हो सकती है, लेकिन शादी का वादा, लंबे और अनिश्चितकाल तक यौन संबंध बनाने के लिए प्रलोभन नहीं माना जा सकता। आरोप बेबुनियाद हैं और संदेह से परे साबित नहीं हुए हैं। महिला की गवाही विश्वास न करने योग्य है। अदालत का मत है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ उसकी इच्छा और सहमति के बाद ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। यह स्पष्ट होता है कि महिला के साथ दुष्कर्म का कोई अपराध नहीं हुआ है और वह आरोपी के साथ रहना चाहती थी। हालांकि कुछ परिस्थितियों के कारण उन दोनों का रिश्ता सफल नहीं हो सका।
अदालत ने कहा कि यह बहुत अजीब बात है कि 13 फरवरी को दुष्कर्म के बावजूद पीड़िता आरोपी के साथ अकेले मनाली जाने के लिए सहमत हो गई। उसके साथ उसी कमरे में रही, जहां पर अधिकारी ने पीड़िता के साथ फिर से दुष्कर्म किया। वह गर्भवती भी हो गई, लेकिन उनसे अपने परिवार को इस बारे में नहीं बताया। गर्भावस्था और गर्भपात के आरोप किसी भी वैज्ञानिक या चिकित्सा साक्ष्य से साबित नहीं हुए।
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