शेख हसीना जब तक चाहें उन्हें भारत में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए: अय्यर
पूर्व राजनयिक मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले राजनीतिक मतभेदों के कारण हो...
कोलकाता, एजेंसी। पूर्व राजनयिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने शनिवार रात कहा कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना जब तक चाहें भारत में उन्हें रहने दिया जाना चाहिए। अय्यर ने इस बात पर खुशी जताई कि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री पिछले महीने ढाका गए और वहां अधिकारियों के साथ चर्चा की। उन्होंने 16वें एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव के अवसर पर कहा कि वार्ता निरंतर होनी चाहिए और भारत को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ मंत्रिस्तरीय संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है। बांग्लादेश ने हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है। इस बारे में पूछे जाने पर अय्यर ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हम इस बात से कभी असहमत नहीं होंगे कि शेख हसीना ने हमारे लिए बहुत अच्छा काम किया है। मुझे खुशी है कि उन्हें शरण दी गई। मुझे लगता है कि जब तक वह चाहें, हमें उनका मेजबान बने रहना चाहिए, भले ही यह उनके पूरे जीवन के लिए क्यों न हो।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सच है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, लेकिन ऐसा ज्यादातर इसलिए हो रहा है क्योंकि वे हसीना के समर्थक हैं। उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं पर हमलों की खबरें सच हैं, लेकिन बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हैं, क्योंकि अधिकतर संघर्ष राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने के लिए होते हैं। इससे पहले प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान अय्यर ने कहा कि पाकिस्तानी भी भारतीयों की तरह ही हैं, लेकिन विभाजन की त्रासदी ने उन्हें अलग देश बना दिया।
उन्होंने कहा, ‘एक तमिल के रूप में मुझमें और एक पंजाबी के रूप में मेरी पत्नी में, उनकी और एक पाकिस्तानी पंजाबी के बीच से कहीं अधिक अंतर है।
अय्यर ने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आतंकवाद फैलाता है लेकिन वह खुद भी आतंकवाद का शिकार है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उन्होंने (पाकिस्तान ने) सोचा था कि वे अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में ला सकते हैं, (लेकिन) आज उनके लिए सबसे बड़ा खतरा अफगानिस्तान में तालिबान है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को अपने गले में लटकाए रखना हमारे लिए आत्मघाती है। हमें उनसे बात करनी चाहिए, जैसा कि (तत्कालीन प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह ने कश्मीर मुद्दे पर किया था।
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