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ब्यूरो::मणिपुर में हालात काबू में करने के लिए जारी है जद्दोजहद

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता मणिपुर में हिंसा और तनाव के बीच सुरक्षा बलों

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 19 Nov 2024 07:47 PM
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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता मणिपुर में हिंसा और तनाव के बीच सुरक्षा बलों को उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फ्री हैंड दिया गया है। सुरक्षा बलों से कहा गया है कि वे आमलोगों के प्रति पूरी संवदेनशीलता का व्यवहार करते हुए उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। हिंसा फैलाने वालों से सुरक्षा बलों की तरफ से लगातार शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है।

एक अधिकारी ने कहा, सुरक्षा बलों को संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट दी गई है। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों को शिविरों, घरों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिविरों, नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों, सरकारी कार्यालयों और अन्य महत्वपूर्ण इलाकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

सुरक्षा घेरा और भी बढ़ाया जाएगा

राज्य में अतिरिक्त जवानों के पहुंचने के बाद सुरक्षा घेरा और भी बढ़ाया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस बीच, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को ऑपरेशन के लिए कार्रवाई योग्य इनपुट प्रदान करने के लिए कहा गया है। जिससे उग्रवादी ठिकानों पर कठोरता से कार्रवाई हो। विभिन्न एजेंसियों से तालमेल बनाकर एक्शन लायक इनपुट साझा करने और उसके आधार पर कार्रवाई करने को कहा गया है। साथ ही वार्ताओें का क्रम भी जारी रखने की कवायद अलग से हो रही है। अधिकारी ने कहा, कुकी और मैतेई समुदायों के बीच खाई पाटने के लिए अलग-अलग तरीकों से संपर्क कायम करने और शांति के प्रयास जारी हैं।

भरोसा कायम करने का प्रयास करें

सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों से कहा गया है कि वे स्थानीय स्तर पर भरोसा कायम करने के प्रयासों में सहयोग करें। सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बल आपस में सहयोग करते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ शांति कायम करने के प्रयासों में जुटे हैं। उधर राज्य में राजनीतिक स्तर पर भी हलचल लगातार जारी है। सोमवार रात को मुख्सयमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा उनके आवास पर बुलाई गई बैठक में 45 में से केवल 27 एनडीए विधायक ही पहंचे थे। अनुपस्थित 18 विधायकों में से छह ने स्वास्थ्य संबंधी कारण से बैठक में आने में असमर्थता जाहिर की। जबकि एक ने कहा कि वे बेठक में नहीं आ सकते। जबकि अन्य 11 ने कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। इसके पहले एनपीपी सरकार से समर्थन वापस ले चुकी है।

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