उच्च शुद्धता के लिए हर स्तर पर होगी सोने की हॉलमार्क
भारत सरकार सोने की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए जनवरी 2025 से आयातित सोने पर हॉलमार्क अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है। ज्वेलर्स और बुलियन द्वारा खरीदे गए सोने पर भी हॉलमार्क लागू होगा। इससे तस्करी...
- विदेशों से आयात किए जाने वाले सोने पर हॉलमार्क को लागू करने की तैयारी - जनवरी से ज्वेलर्स एवं बुलियन द्वारा खरीदे जाने सोने पर भी हॉलमार्क को अनिवार्य करने की तैयारी, अभी तक ग्राहक को बेचे जाने वाले सोने पर हॉलमार्क होना जरूरी
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता
सोने की उच्च शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी तरह के सोने पर हॉलमार्क अनिवार्य करने जा रही है। इसका मतलब है कि आयात किए जाने वाले सोने या सोने का कारोबार करने वाले ज्वेलर्स एवं बुलियन द्वारा खरीदे गए सोने पर हॉलमार्क लगा होना आवश्यक होगा। जनवरी 2025 से शतप्रतिशत हॉलमार्क को लागू करने की तैयारी है, जिसको लेकर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिकारियों और संबंधित पक्षों को बीच लगभग सहमति भी बन गई है।
दरअसल सरकार चाहती है कि देश में बेचे जाने वाला सोना पूरी तरह से मानकों के अनुरुप हो। अभी तक ग्राहक को बेचे जाने वाले सोने पर हॉलमार्क को अनिवार्य किया गया है, जिससे ग्राहक को सोने की गुणवत्ता का सही पता चलता। इससे अगर कोई ग्राहक 20-22 कैरेट याना अन्य श्रेणी सोना एवं सोने से बनी ज्वेलरी खरीद रहा है तो वह उतने कैरेट की होनी चाहिए। लेकिन अब सरकार सोने की खरीद बिक्री की हर प्रक्रिया में शुद्धता सुनिश्चित करना चाहती है। इसलिए विदेशों से आयात किए जाने वाले सोने से लेकर ज्वेलर व बुलियन द्वारा देश के अंदर कहीं से भी खरीदे जाने वाले सोने पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य किए जाने की तैयारी। जानकार बताते हैं कि इससे जहां उच्च शुद्धता सुनिश्चित हो पाएगी तो वहीं सरकार पूरी तरह से सोने के कारोबार पर निगरानी रख पाएगी। उसे सटीक जानकारी होगी कि किसी ज्वेलर व कारोबारी द्वारा कितना सोना खरीदा गया है। फिस उसके स्टॉक के आधार पर यह पता लगाया जा सकेगा कि खरीदे गए सोने में से कितना बेचा गया है।
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तस्करी पर लगेगी लगाम, मिलावट भी रुकेगी
जानकार कहते हैं कि सरकार भारत में आने वाले सोने को मानकों के तहत नियमों के दायरे में लाना चाहती है। इससे सोने के अंदर किसी भी तरह की मिलावट रुक सकेगी, वहीं तस्करी पर भी लगाम लगेगी। क्योंकि जब सभी तरह का सोना बीआईएस हॉलमार्किंग के बाद रिकॉर्ड पर उपलब्ध होगा। बीआईएस की एक उप-समिति हॉलमार्क को लेकर रिपोर्ट सौंप चुकी है, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया को शुरू किया गया है। सूत्रों के मुताबिक नए नियमों के तहत ज्वेलर द्वारा अपने उपयोग के लिए तैयार ज्वेलरी या कलाकृति को हॉलमार्क के अनिवार्य नियमों से बाहर रखा जा सकता है।
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हॉलमार्क को लेकर कई दिक्कतें
मौजूदा नियमों के तहत ग्राहकों को बेचे जाने वाली गहनों पर हॉलमार्क होना अनिवार्य है लेकिन अभी देश के सभी हिस्सों में होलमार्क सेंटर नहीं है, जिसकी वजह से अभी तक काफी हिस्सों में बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी भी बिक रही है। ऑल बुलियन और ज्वेलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल कहते हैं कि सरकार सिर्फ हॉलमार्क के नाम पर राजस्व और निगरानी बढ़ाना चाहती है। वर्तमान में प्रति पीस 52 रुपये से अधिक लिया जा रहा है। ऊपर से अभी तक देश के करीब आधे जिलों में हॉलमार्क की सुविधा नहीं है। क्योंकि वहां पर अभी सोने की शुद्धता जांचने के लिए कोई केंद्र नहीं बना है। इसलिए पहले सरकार को हॉलमार्क केंद्र बनाने चाहिए, उसके बाद सभी तरह के सोने की खरीद पर हॉलमार्क को अनिवार्य करना चाहिए।
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