मलेशिया के पीएम की भारत यात्रा में उठेगा जाकिर नाईक को सौंपे जाने का मुद्दा
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विशेष संवाददाता नई दिल्ली। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर बिन इब्राहिम की 19-21 अगस्त के बीच होने वाली भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत जहां इस दौरान इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठा सकता है, वहीं दोनों देशों के बीच प्रवासन, व्यापार और रक्षा साझेदारी को लेकर नए समझौते भी होने के आसार हैं।
मलेशिया के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा 2018 में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2018 में ही मलेशिया गए थे। उसके करीब छह साल के बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री अब भारत आ रहे हैं। इस बीच कुछ मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तल्खी भी पैदा हुई। जाकिर नाईक का मुद्दा इनमें से एक है। नाईक पर आतंकवाद भड़काने और धन शोधन के आरोप हैं। वह 2016 में भागकर मलेशिया चला गया था। भारत उसे लगातार सौंपे जाने की मांग कर रहा है। दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि भी है, लेकिन मलेशिया ने उसे भारत को सौंपने की बजाय परमानेंट रजिडेंसी दे दिया है जिसमें वह लंबे समय तक वहां रह सकता है। इसे लेकर भारत ने नाराजगी भी जताई थी।
बयानों पर नाराजगी जता चुका भारतः
वर्ष 2020 में मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और सीएए कानून की आलोचना की थी। भारत ने भी इस पर नाराजगी जतायी थी और मलेशिया से आने वाले पाम ऑयल पर रोक लगाई थी। जिससे मलेशिया तिलमिला गया था। हालांकि अब वहां सत्ता बदल चुकी है।
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री इब्राहिम से मुलाकात के दौरान भारत जाकिर नाईक को सौंपने का मुद्दा फिर उठा सकता है। इस पर मलेशिया के रुख से आगे के रिश्तों की प्रगाढ़ता निर्भर करेगी। जानकार कहते हैं कि इसके साथ ही व्यापारिक रिश्तों की मजबूती के लिए भी कोशिश जारी रखी जाएगी।
प्रवासन से जुड़े समझौते हो सकते
मलेशिया में भारतीय कामगारों को लेकर प्रवासन से जुड़े समझौते होने की भी उम्मीद है। भारत-मलेशिया ने रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम और विकास को लेकर भी समझौते किए हैं। उन पर आगे प्रगति होने की उम्मीद है। इसी संदर्भ में क्वालालंपुर में हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिलेड (एचएएल) का एक कार्यालय भी 2023 में स्थापित किया गया है।
20 अरब डॉलर से अधिक का सालाना व्यापार
दोनों देशों के बीच 20 अरब डॉलर से भी अधिक का सालाना व्यापार हो रहा है। इसे बढ़ाने पर भी बात होती। मलेशिया भारत का 16वां तथा भारत मलेशिया का 10वां बड़ा व्यापारिक भागीदार है। मलेशिया की 70 कंपनिया और भारत की 150 कंपनियां एक-दूसरे के देशों में काम कर रही हैं। दोनों देशों में चार वर्किंग ग्रुप बने हैं। इनमें ज्वाइंट कमीशन मीटिंग, फारेन ऑफिस कौंसलेशन, इंडिया मलेशिया डिफेंस कोऑपरेशन तथा इंडिया मलेशिया सीईओ फोरम शामिल हैं।
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अमेरिका के बाद मलेशिया में भारतीय मूल के सर्वाधिक लोग
भारत-मलेशिया के कूटनीतिक संबंध 1957 से हैं और वहां भारतीय प्रवासियों की भारी तादाद में मौजूदगी के चलते दोनों देशों के रिश्तों में प्रगाढ़ता बढ़ी है। वहां 29 लाख भारतीय प्रवासी हैं जो उसकी कुल आबादी का सात फीसदी हैं। अमेरिका के बाद वहां सबसे ज्यादा 27.5 लाख भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) रहते हैं। 1.85 लाख प्रवासी भारतीय हैं।
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पर्यटकों की भी आवाजाही
मलेशिया के पर्यटकों के लिए भी भारत एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है। मलेशियाई पर्यटकों को भारत 30 दिन का डबल एंट्री वीजा प्रदान करता है। वहीं, मलेशिया भारतीय पर्यटकों को आसान ई वीजा प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच 11 स्थानों से सप्ताह में रिकॉर्ड 211 उड़ानें संचालित हो रही हैं।
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