डीयू छात्रों से निजी जानकारी मांगने पर कश्मीरी छात्र संगठन ने उठाए सवाल
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जम्मू-कश्मीर के छात्रों से उनके

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जम्मू-कश्मीर के छात्रों से उनके पते, संपर्क नंबर, ईमेल और पाठ्यक्रम संबंधी जानकारी मांगे जाने का जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (जेकेएसए) ने विरोध किया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस निर्देश को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि संगठन ने इसे भेदभाव पूर्ण व समुदाय विशेष की निगरानी की कोशिश बताते हुए कहा है कि यह छात्रों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रहा है। संगठन का कहना है कि देश के किसी और राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के छात्रों से ऐसी जानकारी नहीं मांगी जा रही है, जो मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
हालांकि, विश्वविद्यालय ने इस आदेश का बचाव किया है। विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने कहा कि यह कदम छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय से प्राप्त खुफिया इनपुट के बाद यह जानकारी कॉलेजों से मांगी गई थी। मेरा मानना है कि इसके पीछे का मकसद कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है। ज्ञात हो कि यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। हमले के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे जम्मू-कश्मीर के छात्रों और पेशेवरों के साथ कथित उत्पीड़न और हमलों की खबरें भी सामने आई हैं। जेकेएसए ने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय के पास पहले से ही छात्रों की जानकारी उपलब्ध है, ऐसे में दुबारा जानकारी मांगने का कोई औचित्य नहीं बनता। एसोसिएशन ने मांग की है कि केंद्र सरकार स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे जिससे किसी भी प्रकार की क्षेत्रीय या धार्मिक पहचान के आधार पर छात्रों का प्रोफाइल न बनाया जाए। पत्र में कहा गया है कि आपका समय पर हस्तक्षेप न केवल छात्रों का भरोसा बहाल करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि शैक्षणिक संस्थान उन्हें सुरक्षा और समर्थन प्रदान करें, न कि अलगाव का अनुभव।
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