घर से स्कूल की दूरी बस रूट से तय करना अनुचित
नर्सरी दाखिला: नई दिल्ली। प्रभात कुमार संस्कृति स्कूल द्वारा नर्सरी कक्षा में दाखिले...
नर्सरी दाखिला:
नई दिल्ली। प्रभात कुमार
संस्कृति स्कूल द्वारा नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए घर से स्कूल की दूरी बस रूट के आधार पर तय किए जाने को उच्च न्यायालय ने पहली नजर में अनुचित बताया है। न्यायालय ने कहा है कि इसके परिणाम काफी गंभीर हैं, क्योंकि इसके आधार पर स्कूल ने एक बच्ची को दाखिला देने से इनकार किया है। न्यायालय ने कहा है कि बस रूट से हमेशा दूरी अधिक होगी। इससे पहले, दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि दाखिला देने के लिए घर से स्कूल की दूरी तय करने के लिए बस रूट को आधार नहीं बनाया जा सकता है।
जस्टिस प्रतीक जालान ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद कहा कि पहली नजर में दाखिले के लिए घर से स्कूल की दूरी बस रूट के आधार पर तय करना पहली नजर में अनुचित है। उन्होंने कहा कि इसे सही ठहराने से पहले, इस पर और विचार करने की जरूरत है। उच्च न्यायालय नर्सरी कक्षा में एक बच्ची आहना को दाखिला देने की मांग को लेकर अधिवक्ता खगेश झा द्वारा दाखिल याचिका पर यह टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि बस रूट खुद स्कूल प्रबंधन ने तय किया है न कि किसी तीसरे और स्वतंत्र निकाय ने। उच्च न्यायालय ने कहा है कि इसके परिणाम काफी गंभीर हैं क्योंकि इसके आधार पर स्कूल ने एक बच्ची को दाखिला देने से इनकार किया गया है।
आहना की ओर से अधिवक्ता खगेश झा ने न्यायालय को बताया कि बच्ची गौतम नगर में रहती है जोकि एम्स के बिलकुल नजदीक है। उन्होंने अपने दावे को साबित करने के लिए गूगल मैप का स्क्रीन शॉट भी अदालत में पेश किया। अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि स्कूल द्वारा तय पैमाना के हिसाब से गौतम नगर भी 8 किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने गौतम नगर को एन्ड्रयूजगंज के काफी नजदीक माना है।
नोटिस जारी कर जवाब मांगा
उच्च न्यायालय ने दाखिले के लिए घर से स्कूल की दूरी बस रूट से तय करने के फैसले को चुनौती देने वाली इस याचिका पर संस्कृति स्कूल प्रबंधन और सरकार से जवाब मांगा है। सभी पक्षकारों से न्यायालय ने दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी। हालांकि सरकार की ओर से अधिवक्ता शोभना टकियार ने न्यायालय को बताया कि दाखिले के लिए स्कूल से घर की दूरी बस रूट के हिसाब तय नहीं किया जा सकता। इसके बाद न्यायालय ने उन्हें इस बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
बस रूट को बनाया आधार
संस्कृति स्कूल प्रबंधन की ओर से पेश अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि स्कूल से घर की दूरी बस रूट के आधार पर तय किया गया। उन्होंने बस रूट के सभी स्टॉप का विवरण भी न्यायालय के साथ साझा किया और कहा कि इसके हिसाब से गौतम नगर 12 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है।
... तो देना होगा दाखिला
उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि मामले में यदि अंतिम फैसला बच्ची के हक में आएगा तो उसे नर्सरी कक्षा में दाखिला देना होगा। इसके साथ ही न्यायालय ने संस्कृति प्रबंधन से कहा कि अभी दाखिला चल रहा है, ऐसे में सभी सीटों पर दाखिला देते वक्त इस बात का ध्यान रखें। न्यायालय ने बच्ची के लिए एक सीट आरक्षित रखने को कहा है ताकि उसके हक में फैसला आने पर बिना किसी परेशानी का दाखिला दिया जा सके।
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